शवदाह गृह बना नशेड़ीओ का अड्डा, इसके आड़ में बिकते हैं अवैध मादक पदार्थ

 

न्यूज़ वाणी

ब्यूरो मनोज पटेल

 

मिर्ज़ापुर। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए शवदाह गृह निर्माण के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार अंधाधुंध बजट खर्च कर की है। जिम्मेदार तो लाल हो गए, लेकिन गंगा मैली ही रह गईं। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शवदाह गृह का अंतिम संस्कार हो गया। हकीकत तो यह है कि निर्माण एजेंसियों ने इस कदर निर्माण में गड़बड़ी की है कि प्रयोग करने के पहले ही योजना धराशायी हो गई। 14 वा विन्त योजना अंतर्गत बनाया गया शवदाह, शांति स्थल, शौचालय, ऑफिस रूम, राजगढ़ ब्लाक के राजगढ गांव में बने शवदाह गृह को देख ऐसा ही लगेगा। ग्राम पंचायत की ओर से राजगढ ब्लाक के राजगढ गांव में शव के अंतिम संस्कार के लिए लाखों रुपये की लागत से शवदाह गृह तो बनाया गया,लेकिन आज तक शवदाह गृह में अभी तक लगभग एक या दो लोगों का ही शव का अंतिम संस्कार किया गया। शवदाह गृह में लगाए गए टिनशेड हवा के कारण उड़ गए। जहां दिन रात जुआरियों एवं नशेड़ीओ का जमावड़ा लगा रहता है। इस समय शवदाह गृह खंडहर में तब्दील हो चुका है। क्षेत्रीय जनता शव के अंतिम संस्कार के लिए मिर्जापुर चुनार या वाराणसी गंगा किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं। धार्मिक परंपराओं के अनुसार शव का गंगा तट पर अंतिम संस्कार किया जाता है। इससे गंगा में गंदगी फेंक दिया जाता है। सरकार गंगा को निर्मल बनाने के लिए तटवर्ती सभी गांवों में शवदाह गृह और शौचालय निर्माण के लिए पानी की तरह बजट बहाया। शवदाह गृह बनाए गए लेकिन उसका उपयोग केवल नाम मात्र हुआ। जबकि आज के डेट में वहां पर घास फूस झाड़ियां रंग गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इस वक्त वहां पर स्थित नशेड़ी जुआरी ही जमावड़ा लगाने में व्यस्त हैं। शवदाह गृह के निर्माण का मुख्य उद्देश्य गंगा निर्मल करना था़, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर अधिकारी भी अंजान बने हुए हैं।
इसको बनाने में लागत लगभग 1300000 आया था। निर्माण 2016 में पूरा हुआ था। राजगढ़ विकासखड क्षेत्र के राजगढ़ में शवदाह गृह स्थित है। आपको बता दें कि शवदाह तक जाने के लिए कच्ची रोड का निर्माण तो किया गया था लेकिन सही ढंग से ना किए जाने की वजह से पानी के बहाव से बह गया कुछ जगहों पर जिससे कि काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इस पर अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।।

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