न्यूज़ वाणी
ब्यूरो संजीव शर्मा
न्यूज़ वाणी इटावा। जिलाधिकारी अवनीश राय द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर से फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु धान उत्पादक विकास खण्डों के लिए 04 प्रचार-प्रसार वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। जिसमें धान की टन धान की फसल अवशेष जलाने से 3.0 कि0ग्रा0 कणिका तत्व, 60 कि0ग्रा0 कार्बन मोनो आक्साईड, 1460 कि0ग्रा0 कार्बन डाई आक्साईड, 199 कि0ग्रा0 राख एवं 2 कि0ग्रा0 सल्फर डाई-आक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे आँखों में जलन एवं त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण जीर्ण ह्नदय एवं फेफड़े की बीमारी के रुप में मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है। एक टन धान की पराली जलाने से लगभग 5.5 कि0ग्रा0 पोटेशियम आक्साइड, 1.2 कि0ग्रा0 सल्फर, धान के द्वारा शोषित 50-70 प्रतिषत सूक्ष्म पोशक तत्व एवं 400 कि0ग्रा0 कार्बन की क्षति होती है। पोशक तत्वों के नश्ट होने के अतिरिक्त मिट्टी के कुछ गुण जैसे भूमि तापमान, पी0एच0 नमी उपलब्ध फास्फोरस एवं जैविक पदार्थ भी अत्यधिक प्रभावित होते है। साथ ही मृदा में उपलब्ध लाभदायक जीवाणु नश्ट हो जाते है तथा जीवांश कार्बन की भारी क्षति हो जाती है जिससे भूमि अनुपजाऊ हो जाती है। पराली प्रबन्ध के अन्तर्गत आप सुपर एस0एम0एम0 लगे कम्बाइन हार्वेस्टर से ही धान की मड़ाई कराये। पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने हेतु राजकीय बीज भण्डार पर निःशुल्क वेस्ट डिकम्पोजर प्राप्त कर सकते है। या अपनी पराली को निकटतम गौशाला में भी भेज सकते है जिसकी ढुलाई का खर्च मनरेगा या वित्त आयोग से वहन होगा। व्यक्तिगत तौर पर दो ट्राली पराली गौशाला ले जाने पर एक ट्राली खाद गौषाला से प्राप्त कर सकते है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण की धारा 24 एवं 26 के अनुसार 02 एकड़ तक पराली जलाने पर रुपया 2500, 02 से 05 एकड़ क्षेत्र हेतु रुपया 5000 तथा 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र की पराली जलाने पर रुपया 15000 का जुर्माना का प्राविधान की जानकारी कृशकों गाॅव गाॅव जाकर दी गई। उक्त अवसर पर उप कृषि निदेशक आर.एन. सिंह उपस्थित रहे।