हमीरपुर। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन देवी मंदिरों व पूजा पंडालों में भारी भीड़ उमड़ी। मां बह्मचारिणी दुर्गा का अत्यंत शांत एवं तपस्वी स्वरूप है। माता के इस स्वरुप की आराधना से भक्तों का जीवन सफल हो जाता है। भक्तों ने मां के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की आराधना कर माथा टेका। देवी पंडालों व देवी मंदिरों में बज रहे चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, ऊंचे पर्वत में रानी मां ने दरबार सजाया है जैसे भक्ति गीतों से माहौल भक्तिमय बना है।
देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या करती रहीं। पत्तों को भी छोड़ने के कारण ही इनका नाम अपर्णा पड़ गया कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया। सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की, यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। शहर के मां चौरादेवी मंदिर, गौरादेवी मंदिर, पातालेश्वर मंदिर सहित अन्य प्रमुख देवी मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। सबसे अधिक भक्तों ने मां चौरादेवी मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की। यहां सुबह चार बजे से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यहां माथा टेकने के लिए लाइन लगीं रहीं। नगर में विभिन्न स्थानों में स्थापित पूजा पंडालों में मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा अर्चना हुई। पूजा पंडालों में सुबह शाम होने वाली आरती में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं रात्रि में जागरण के आयोजन शुरू हो गए है। इसके साथ ही मंदिरों व घरों में धार्मिक अनुष्ठान कराए जा रहे है। साथ ही कन्या भोज के आयोजन शुरू हो गए है।