ट्रामा विश्वभर में मृत्यु और विकलांगता के सबसे बड़े कारणों में से एक- कुलपति

 

 

न्यूज वाणी

व्यूरो संजीव शर्मा

 

यूपीयूएमएस में वर्ल्ड ट्रामा डे मनाया गया।

न्यूज वाणी सैफई / इटावा उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय यूपीयूएमएस में वर्ल्ड ट्रामा डे पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुख्य कार्यक्रमों का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) प्रभात कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ट्रामा विश्व भर में मृत्यु और विकलांगता के सबसे बड़े कारणों में से एक है। इसका प्रभाव पीडित के सामाजिक, मानसिक, शारीरिक व भावनात्मक स्वास्थ्य और यहाॅ तक की उसके व्यवहार को भी प्रभावित कर सकता है।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा0 रमाकान्त यादव, संकायाध्यक्ष डा0 आदेश कुमार, कुलसचिव डा0 चन्द्रवीर सिंह, चिकित्सा अधीक्षक डा0 एसपी सिंह, विभागाध्यक्ष इमर्जेंसी डा0 प्रशान्त मिश्रा, डा0 सोमेन्द्र पाल सिंह, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा0 विश्वदीपक, डा0 गोविन्द सिंह, डा0 अतुल मिश्रा तथा कार्यक्रम संयोजक डा0 राजमंगल यादव आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर मेडिकल स्टूडेन्ट्स द्वारा नुक्कड-नाटक, पोस्टर एवं रंगोली के माध्यम से सड़क एवं अन्य आकस्मिक दुर्घटनाओं को समझाया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ता एवं एटीएलएस इनस्ट्रक्टर प्रो0 डा0 सोमेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि वर्ल्ड ट्रामा डे को मनाने का उद्देश्य ट्रामा को लेकर लोगों की व्यापक समझ को बढ़ाना और वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के साथ ट्रामा के उपचार के लिए प्रभावी तंत्र निर्माण करना है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में लगभग हर 1.9 मिनट में एक सड़क दुर्घटना होती है। हर साल लगभग 1 मिलियन लोग दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गवाॅ देते है। वहीं लगभग 20 मिलियन लोगों को दुर्घटनाओं के कारण हर साल अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
विभागाध्यक्ष इमर्जेंसी डा0 प्रशान्त मिश्रा ने विश्व ट्रामा दिवस 2023 के लिए थीम ‘समय पर प्रतिक्रिया जीवन बचाती है‘ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यदि समय पर घायलों को ट्रामा (मेडिकल) की सुविधा मिल जाये तो सड़क हादसे में सालाना होने वाली मौतों की संख्या के साथ-साथ हादसे में अपंग होने वालों की संख्या को भी कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्व सड़क सांख्यिकी 2020 के अनुसार सड़क हादसों के मामलों में भारत दूसरे पायदान पर है। वहीं सड़क हादसों से होने वाली मौत के मामलों में दुनिया में पहले नंबर पर है।

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