-फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के प्रति किया जागरूक
-सहयोगी संस्थाओं ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
फतेहपुर। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय सभागार में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और स्वयंसेवी संस्था पॉथ सहयोग से हेल्थ सुपरवाइजर और बेसिक हेल्थ वर्कर बीएचडब्लू को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया। जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने साल 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में एकीकृत निक्षय पोषण दिवस के तहत हर माह की 15 तारीख को भी फाइलेरिया के मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जाता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का दूसरा नाम हाथी पाँव है, यह मच्छरजनित बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसको केवल प्रबंधन से ही नियंत्रित किया जा सकता है। जिले में 4200 फाइलेरिया मरीज हैं जिनमें अब तक 1251 मरीजों को एमएमडीपी किट दी जा चुकी है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से कहा कि फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट के माध्यम से फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में कैसे करना है इसका प्रशिक्षण मरीजों को दें। प्रशिक्षण के दौरान पॉथ संस्था के रीजनल नेग्लेक्टेड ट्रापिकल डिजीज आरएनटीडी कोआर्डिनेटर ने बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों मे सूजन न बढे इसलिये जरूरी है कि उनमे व्यापक मूवमेंट हो। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मचारियों को एमएमडीपी किट के उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि प्रभावित अंगों को साबुन से धोना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि साबुन को सीधे प्रभावित अंगों पर नहीं लगाना लगाएं बल्कि साबुन का फेना बनाकर और उसे ऊपर से नीचे की ओर हल्के हाथों से लगाना चाहिए। सीफार के सदस्य ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों को कैसे साफ करें इसका प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करना बहुत जरूरी होता है। इसके साथ ही प्रभावित अंगों की साफ सफाई करते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है अन्यथा संक्रमण होने की संभावना होती है। प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके भिटौरा स्वास्थ्य केंद्र के बीएचडब्लू आकाश ने बताया कि उन्हे पहली बार एमएमडीपी का प्रशिक्षण मिला है। इसमें किट का उपयोग किस प्रकार करना है इसकी जानकारी दी गई है। अब फाइलेरिया मरीजों को जानकारी देंगे। इसी प्रकार तेलियानी स्वास्थ्य केंद्र में तैनात बीएचडब्लू अतुल चैधरी ने बताया कि प्रशिक्षण में फाइलेरिया के बारे में कई नई जानकारी प्राप्त हुई है। फाइलेरिया कैसे होता है और मरीज को क्या सावधानी बरतनी चाहिये इसके बारे में बताया गया। अब स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट के बारे में बतायेंगे। इस मौके पर वीबीडी वेक्टर बार्न डा0 शहाबुददीन, सहायक मलेरिया अधिकारी कीर्ति रंजन, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर राधेश्याम भारती, आशीष त्रिपाठी, ईशान, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
एमएमडीपी किट के प्रयोग करने का तरीका
एमएमडीपी किट के अंतर्गत प्राप्त बाल्टी में पानी भर लेना हैए टब में पैर रख कर घुटने के ऊपर से नीचे की तरफ पैर के पंजे तक मग की सहायता से पानी गिरा कर धो लें उसके उपरांत साबुन लेकर हाथ में अच्छे से झाग बना लें एपूरे पैर पर अच्छे से साबुन लगा के हल्के हाथों से मालिस करेंएफिर पैर को अच्छे से धो कर तौलिया से सुखा लें उसके उपरांत आवश्यकता हो तो एंटीफंगल एंटीबैक्टीरियल क्रीम लगा लें जहां पर चोट हों। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों के प्रभावित अंग को अच्छी तरह से साफ.सफाई कर रखना चाहिएए जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज न प्रभावित हो। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग से बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा का सेवन कराया जायेगा। गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं खानी है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है।