करण जौहर को परेशान देख आदित्य चोपड़ा ने मोर्चा संभाला, फिर रेवेन्यू ने बनाया रिकॉर्ड

 

 

‘मुझे आदित्य चोपड़ा ने एक बार कहा था कि जब वे और करण जौहर कॉलेज में पढ़ते थे, उसी वक्त ‘जो जीता वही सिकंदर’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म का म्यूजिक हमने ही दिया था। आदित्य और करण इसके गानों को बहुत एंजॉय करते थे। उन्हें फिल्म का गाना इतना पसंद आया था कि वे इसे गुनगुनाकर टेबल भी बजाते थे।

उसी दौरान आदित्य और करण जौहर बात करते थे कि वे जब भी फिल्म मेकिंग करेंगे, उसके गाने ललित-जतिन से ही बनवाएंगे। यह सच भी हुआ। आदित्य चोपड़ा की पहली फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ का म्यूजिक हमने ही दिया था। उस फिल्म में करण जौहर असिस्टेंट डायरेक्टर थे। वहां से हमारा परिचय हुआ, फिर हमने साथ में ‘कुछ-कुछ होता है’ के लिए काम किया।’

 

 

 

‘कुछ-कुछ होता है के डायरेक्टर भले ही करण जौहर थे, लेकिन इस फिल्म के लिए हमें आदित्य चोपड़ा ने अप्रोच किया। उन्होंने हम दोनों भाइयों (जतिन-ललित) को अपने घर बुलाया।

वहां आदित्य जी ने कहा- करण एक फिल्म बना रहा है। शाहरुख, काजोल और रानी मुखर्जी इसमें काम कर रहे हैं। इस फिल्म के लिए करण को बेहतरीन म्यूजिक चाहिए। आप दोनों बताइए कि इस फिल्म के लिए कितना समय दोगे।

मैंने कहा कि करण की फिल्म है तो पूरा समय देंगे और अच्छा काम करके दिखाएंगे। हम फिर करण से उनके पिता यश जौहर के खार वाले ऑफिस में मिले और यहीं से काम शुरू हुआ।’

 

 

‘मैंने बहुत सारे डायरेक्टर्स के साथ काम किया है, लेकिन जिस तरह करण जौहर ने फिल्म की कहानी सुनाई वैसा नरेशन मैंने कभी नहीं सुना था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सामने फिल्म चल रही हो। कोई आदमी ऐसी कहानी तभी सुना सकता है जब वो खुद इसे फील कर रहा हो।

इसकी कहानी सुनकर हमने सोच लिया कि यह कोई आम फिल्म नहीं है। शायद इसी वजह से हमने इस फिल्म को अपना पूरा टाइम दिया, इसलिए आज 25 साल बाद भी इसे एंजॉय कर रहे हैं।’

 

 

‘फिल्म का म्यूजिक बेस्ट हो इसके लिए 150 म्यूजिशियन दिन-रात लगे थे। एक गाने को रिकॉर्ड करने में 9-10 दिन का समय लगता था। हमने ‘कोई मिल गया’ गाने को सबसे पहले रिकॉर्ड किया था। करण जौहर फिल्म के गानों को लेकर पहले नर्वस थे, चूंकि उनकी पहली फिल्म थी, इसलिए यह नर्वसनेस बनती थी।

हालांकि, जब उन्होंने पहला गाना ‘कोई मिल गया’ का ट्रैक सुना तो काफी खुश हुए। उन्हें फिर कॉन्फिडेंस आ गया। उस गाने में वो सब कुछ था जो वे पर्दे पर दिखाना चाहते थे।

फिल्म से जुड़े सभी एक्टर्स को भी फिल्म के गाने पसंद आए थे। खासतौर पर रानी मुखर्जी ने सभी सॉन्ग्स को काफी ज्यादा एंजॉय किया था। रानी मुखर्जी ने बंगाली में अपनी पहली फिल्म की थी।

उनके पिता राम मुखर्जी ने इसे डायरेक्ट किया था। खास बात यह थी कि उस फिल्म के म्यूजिक पर हमने ही काम किया था। तभी से रानी मुखर्जी के साथ हमारे काफी मधुर संबंध हो गए।’

 

 

‘फिल्म के गाने इतने हिट थे कि इसे रिलीज करने वाली सोनी कंपनी भी शॉक्ड थी। सोनी वालों ने हमें अपने ऑफिस बुलाया। करण जौहर और उनके पिता यश जौहर भी हमारे साथ वहां गए थे। हॉन्गकॉन्ग से एक इंटरनेशनल टीम हमसे मिलने आई थी। सोनी वाले भी सरप्राइज थे कि उन्हें फिल्म के गानों से इतना रेवेन्यू कैसे मिल रहा है।

उन्होंने हमारी जमकर तारीफ की। फिल्म का म्यूजिक विदेशों मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट देशों में भी काफी फेमस हुआ था। वहां फिल्म को डब करके भी रिलीज किया गया था।’

 

‘लड़की बड़ी अनजानी है’ गाने की शूटिंग ऊटी में होनी थी। हालांकि, तब तक यह गाना तैयार नहीं हुआ था। करण जौहर बहुत स्ट्रेस में थे। एक्टर्स का भी काफी बिजी शेड्यूल था। करण को हर हाल में वहां जाकर शूट करना था।

 

उस वक्त आदित्य चोपड़ा ने काफी मदद की। उन्होंने करण से कहा कि तुम ऊटी जाओ, मैं यहां जतिन-ललित के साथ बैठकर गाना तैयार करवाता हूं। फिर उन्होंने हमारे साथ बैठकर गाना बनवाया। बाद में इसे सभी ने काफी पसंद किया। करण की सांस में सांस आई।’

 

 

‘कुछ-कुछ होता है’ और ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी फिल्मों के हिट होने के पीछे इसका म्यूजिक का बहुत बड़ा हाथ था। इन फिल्मों के एक नहीं बल्कि सारे गाने कमाल के हैं।

 

इसके पीछे कारण यह है कि हमने इनके गानों के लिए अपना बेस्ट दिया। करण और आदित्य की फिल्मों को साइन करने के बाद हम दूसरे प्रोजेक्ट्स नहीं लेते थे। इनकी फिल्में बड़ी होती थीं, इसलिए इसके साथ दूसरे प्रोजेक्ट्स पर काम करना पॉसिबल नहीं था।’

 

‘अमिताभ बच्चन और गोविंदा भले ही बहुत बड़े स्टार थे, लेकिन हमारे पास भी छोटा स्टार थोड़ी था। हमारे पास भी शाहरुख खान जैसा स्टार था। शाहरुख खान किंग है। इसी वजह से हमें क्लैश का डर नहीं था। शाहरुख का एक अपना औरा है।’

 

 

‘शाहरुख जब भी मिलते हैं, बहुत गर्मजोशी और अच्छे से बातचीत करते हैं। मैंने रेडियो में एक बार इंटरव्यू दिया था, जिसमें मैंने उन्हें इस जेनरेशन का कल्ट हीरो बताया था। शाहरुख एक बार मिले तो उन्होंने मेरे उस इंटरव्यू का जिक्र किया। उन्होंने मेरा आभार भी जताया।’

 

‘जैसे राजकपूर और शैलेंद्र की जोड़ी थी, वैसे ही हमारी और शाहरुख खान की जोड़ी हो गई थी। हमने (जतिन-ललित) शाहरुख के लिए कई फिल्मों का म्यूजिक दिया। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कुछ-कुछ होता है से लेकर मोहब्बतें तक।

 

इन सभी फिल्मों के म्यूजिक ने शाहरुख को एक नई पहचान दी। शाहरुख का वो बाहें फैलाने वाला सिग्नेचर पोज भी हमारे दिए म्यूजिक से आया था। किसी भी एक्टर की पहचान उसकी फिल्मों के गानों से होती है। आम जनता एक्टर्स को उनके गानों से ही पहचानती है।’

 

 

‘हमारे समय में किसी भी गाने को बनाने से पहले राइटर और कंपोजर एक साथ बैठते थे। प्रोड्यूसर और डायरेक्टर से पहले ही हम लोग गाने के सिचुएशन पर बात कर लेते थे। राइटर ने जिस हिसाब से स्टोरी लिखी होती थी, म्यूजिक कंपोजर भी उसी हिसाब से गाने बनाता था। शायद इसी वजह से फिल्म की स्टोरी लाइन और गाने एक-दूसरे के साथ मैच करते थे।’

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