हम इस वीकेंड एक साथ तीन फिल्मों का रिव्यू देने जा रहे हैं। ये तीन फिल्में हैं- टाइगर श्रॉफ-कृति सेनन स्टारर फिल्म गणपत, दिव्या खोसला की यारियां-2 और थलपति विजय की फिल्म लियो। गणपत जहां एक एक्शन-फिक्शनल फिल्म है, वहीं यारियां-2 रोमांटिक ड्रामा फिल्म है। थलापति विजय की फिल्म लियो एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है।
टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन लीड रोल में हैं। अमिताभ बच्चन का कैमियो है। एली एवराम का गेस्ट अपीयरेंस है। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 16 मिनट है।
फिल्म की शुरुआत एक काल्पनिक दुनिया से होती है। एक तरफ अमीर लोग रहते हैं और दूसरी तरफ गरीब, उनके बीच एक दीवार है। अमीरों ने एक वक्त पर गरीबों का शोषण किया होता है। गरीबों की बस्ती से निकला गुड्डू (टाइगर श्रॉफ) अपने लोगों का बदला लेता है।
गुड्डू ही गणपत है और उसका लक्ष्य क्या है, पूरी फिल्म की स्टोरी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी का प्लॉट थोड़ा बहुत हॉलीवुड फिल्मों से मिलता जुलता है, लेकिन इसे जिस तरह दिखाया जाना चाहिए था, उस तरह दिखाया नहीं गया। कह सकते हैं कि हॉलीवुड फिल्मों की कॉपी करने की यह एक नाकाम कोशिश है।
इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन जैसे बड़े स्टार्स के टैलेंट को वेस्ट कर दिया गया है। इन दोनों का जो पोटेंशियल है, उसके हिसाब से दोनों से और बेहतर काम किया लिया जा सकता था। इसके बावजूद टाइगर और कृति ने फिल्म को थोड़ा बहुत अपने कंधे पर संभालने का काम किया है।
फिल्म में अमिताभ बच्चन का भी छोटा सा कैमियो है। हालांकि बिग बी के कद मुताबिक उनके रोल के साथ भी न्याय नहीं हुआ है।
फिल्म का डायरेक्शन विकास बहल ने किया है। यह उनका अब तक का सबसे कमजोर काम है। डायरेक्शन में बहुत सारी खामियां हैं। कहानी को हर वक्त कन्फ्यूजिंग बनाकर रखा गया है। जिस सोच के साथ फिल्म बनाई गई उसे पर्दे पर उतारने में डायरेक्टर पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं।
फिल्म की म्यूजिक पर बात करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। गाने ऐसे हैं जो कानों को चुभ सकते हैं। टाइगर श्रॉफ का डांस जरूर देखने लायक है।
अगर आप इस वीकेंड कोई एक्शन पैक्ड फिल्म देखना चाहते हैं तो इसे जरूर देख सकते हैं। इसके अलावा फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जो इसे देखने लायक बनाता है। बच्चों को जरूर यह फिल्म पसंद आ सकती है।
फिल्म में दिव्या खोसला, मिजान जाफरी और पर्ल वी पुरी अहम भूमिका में हैं। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 30 मिनट है।
फिल्म में तीन कजिन्स लाडली छिब्बड़ (दिव्या खोसला कुमार), शिखर रंधावा (मिजान जाफरी), और बजरंग दास खत्री (पर्ल वी. पुरी) के पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में आने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है।
लाडली जहां अपनी शादीशुदा जिंदगी की परेशानी से जूझती हैं, वहीं बजरंग प्यार में धोखा खाया हुआ है। शिखर अपने अतीत और वर्तमान के बीच अपने पैशन बाइक रेसिंग के लिए अलग लड़ाई लड़ते नजर आता है। तीनों की अलग कहानियां पैरेलल चलती हैं और यही इस फिल्म की खूबसूरती और कमी दोनों है।
दिव्या खोसला कुमार ने अपने किरदार में जान डाल दी है। मिजान जाफरी ने भी लाइमलाइट लूट ली है। मिजान का किरदार ऐसा है, जिसे आप लंबे वक्त तक याद रखेंगे।
राधिका राव और विनय सप्रू ने फिल्म को डायरेक्ट किया है। फिल्म को रिफ्रेशिंग और वाइब्रेंट बनाने की उनकी कोशिश सार्थक रही है। हालांकि फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी जगह पर भटका हुआ सा लगता है, खासकर फर्स्ट हाफ में। सेकेंड हाफ में फिल्म फिर से रफ्तार पकड़ती है।
फिल्म ‘यारियां 2’ युवाओं की समस्या, रिश्तों के ताने-बाने पर फोकस करती हुई एक रिफ्रेशिंग पारिवारिक फिल्म है। यहां कहानी की कुछ कमियों को छोड़ दिया जाए तो फिल्म एक बार देखने लायक जरूर है।
इसकी लेंथ 2 घंटे 39 मिनट है। थलपति विजय लीड रोल में हैं। त्रिशा और संजय दत्त सपोर्टिंग रोल में हैं।
पार्थी (विजय) हिमाचल प्रदेश में एक कॉफी शॉप चलाता है। अपनी पत्नी सत्या और दो बच्चों के साथ वो खुशहाल जिंदगी जीता है। हालांकि उसकी खुशहाल जिंदगी को किसी की नजर लग जाती है। एक साधारण जीवन जीने वाला पार्थी यानी विजय की जिंदगी में अचानक भूचाल आ जाता है। उसके और खूंखार गैंगस्टर बने संजय दत्त के बीच संघर्ष होता है।
अगर कहा जाए कि इस फिल्म में विजय ने करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है तो गलत नहीं होगा। एक सीधा साधा खूंखार हो जाता है, विजय का यह ट्रांसफॉर्मेशन गजब का है। संजय दत्त ने अपने रोल के साथ पूरी तरह जस्टिस किया है। वहीं विजय की पत्नी के रोल में एक्ट्रेस त्रिशा ने भी अच्छा काम किया है।
लोकेश कनगराज का डायरेक्शन इस फिल्म में काफी साधारण है। फिल्म काफी हद तक प्रेडिक्टेबल भी है। सस्पेंस क्रिएट करने में लोकेश कनगराज इस बार नाकाम रहे हैं। फिल्म के कुछ पॉजिटिव्स की बात करें तो इसका साउंड ट्रैक और BGM खासतौर पर लोगों को पसंद आएगा।
अगर आप विजय के हार्ड कोर फैन हैं तो यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए। शुरुआत से लेकर अंत तक पूरी फिल्म में विजय ही दिखाई देंगे। अगर आप लोकेश कनगराज की फिल्मों और उनकी स्टोरी टेलिंग के प्रशंसक हैं तो यह फिल्म आपको थोड़ा निराश जरूर कर सकती है।