मुराद पूरी होने पर लोग लगवाते है संगमरमर का पत्थर
सुमेरपुर। देवगांव में स्थित मां कामाख्या देवी धाम दूर-दूर तक मशहूर है। लोग मुराद पूरी होने पर वर्ष पर्यंत यहां आते हैं।
मान्यता है कि महिषासुर के आतंक से मां ने असम के गुवाहाटी के साथ यहां भी अपना ठिकाना बनाया था। यह तांत्रिकों का भी शक्तिपीठ है। मुराद पूरी होने पर यहां लोग दीवाल में पत्थर लगते हैं। क्षेत्र के ग्राम देवगांव में निर्जन स्थान पर मां कामाख्या देवी का गुफा के अंदर पुराना धाम है। यहां के महंत स्वामी पतरिया महाराज ने बताया कि यह तांत्रिक पीठ है। देवासुर संग्राम के पूर्व महिषासुर की आतंक से मां ने असम के गुवाहाटी के अलावा यहां भी अपना स्थान बनाया था। यह बहुत ही दुर्लभ स्थान है। यहां एक बड़ी गुफा के अंदर मां विराजमान है। गुफा के अंदर भक्तों को आने-जाने में बहुत कठिनाइयां थी। लिहाजा गुफा के ऊपर मंदिर बनाकर मां की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इस स्थान की पहचान चंदेल कालीन राजाओं के द्वारा की गई थी। हजारों वर्ष पूर्व उन्होंने यहां विशाल तालाब बनवाकर गुफा का जीर्णोद्धार कराया था। तभी से यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस स्थान पर लोग वर्ष पर्यंत आते हैं। नवरात्र में यहां लोगों की भीड़ में उमड़ती है। मुराद पूरी होने पर लोग यहां दीवाल पर अपने नाम का संगमरमर का पत्थर लगवाते हैं। हजारों की तादाद में यह मंदिर की दीवार के साथ गुफा के आसपास संगमरमर के पत्थर लगे हैं। पत्थरों को देखकर सहज अंदाजा लगाया जाता है कि यह वह स्थान बुंदेलखंड के कोने-कोने पर मशहूर है। ग्राम प्रधान जितेंद्र खरे,मंजय प्रजापति आदि बताते हैं कि कभी यह स्थान निर्जन जगह पर था। अब यह आबादी के काफी करीब हो गया है और यहां आने जाने के लिए गांव से शक्तिपीठ तक सीसी मार्ग के साथ बिजली की भी व्यवस्था हो गई है।