कंट्रोलर के द्वारा लकड़ी चोरी में साथ न देना प्राचार्य डॉ डीसी गुप्ता को पड़ा भरी

 

न्यूज़ वाणी

संवाददाता ओमप्रकाश गौतम

अतर्रा/ बांदा। डिग्री कॉलेज के कंट्रोलर द्वारा फर्जी तरीके से महाविद्यालय में पड़ी सागवान शीशम और यूकेलिप्टस की लकड़ी को चोरी छुपे बेच रहे थे प्राचार्य डॉ डीसी गुप्ता द्वारा विरोध करने पर उन्हें पहले प्राचार्य पद से मुक्त किया गया उसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया जबकि प्राचार्य ने कंट्रोलर योगेंद्र सिंह द्वारा फर्जी तरीके से लकड़ी ले जाने का विरोध किया तो तुरंत मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनको बाहर कर दिया गया प्रबंधक योगेंद्र सिंह जबकि शासन से उनकी कमेटी निलंबित है इसके बावजूद भी फर्जी तरीके से कंट्रोलर बने हुए हैं अभी हाल में ही इन्होंने महाविद्यालय के दो कर्मचारी कार्यालय अधीक्षक पुष्पेंद्र द्विवेदी और लेखाकार सुनील श्रीवास को भी निलंबित कर दिए हैं आयोग से चयनित प्राचार्य को लेकर अन्य कई कार्यवाहक प्राचार्य के निलंबन और बहाली का सिलसिला चल रहा है । जिस महाविद्यालय में कभी पढ़ाई का उच्चतम स्तर हुआ करता था वह महाविद्यालय आज राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है जिसका दुष्परिणाम पढ़ रहे बच्चे भुगत रहे है ।
बताते चलें कि कुछ वर्ष पूर्व महाविद्यालय के प्रबंधक करण सिंह रहे ।इसके बाद उनके पुत्र डॉ योगेंद्र सिंह जो ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट में लेक्चरर है वह प्रबंधक बने और कुछ आरोपो के तहत राज्यपाल ने पिछले वर्ष जब प्रबंध समिति को निलंबित किया तो स्वयं योगेंद्र सिंह को ही प्राधिकत नियंत्रक अर्थात कंट्रोलर नियुक्त कर दिया। तब से लगातार महाविद्यालय के कंट्रोलर वही है। जनवरी 2022 में आयोग से चयनित विद्वान प्राचार्य डॉ राजेंद्र कुमार दुबे महाविद्यालय के प्राचार्य बने जो शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रीवा में गणित के एसोसिएट प्रोफेसर थे और लंदन सहित तमाम देशों की यात्राएं भी कर चुके हैं। उनका एक वर्ष का प्रोवेशन पीरियड बढा कर 26 फरवरी 2023 को प्रशासनिक नियंत्रण न होना, महाविद्यालय के विकास में रुचि न लेना ,और कुछ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर निलंबन कर दिया गया। आरोप पत्र पर जांच हुई और 3 मई 2023 को चेतावनी देने के साथ जचोप्रांत निलंबन खत्म कर दिया गया। इस बीच निलंबन की अवधि में प्रबंधक से कंट्रोलर बने प्राधिकृत नियंत्रक डॉ योगेंद्र सिंह ने तीसरे नंबर के सीनयर प्रवक्ता डॉ दिनेश चंद्रगुप्त को विद्यालय का कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त नियुक्त कर दिया। 4मई 2023 को निलंबन खत्म होने के उपरांत डॉ राजेंद्र दुबे ने पुनः ज्वाइन कर लिया लेकिन दबाव के चलते उन्होंने 26 जून को स्वेच्छा से त्यागपत्र देकर मूल पद पर लौट जाना ही अपनी भलाई समझा और वापस चले गए। 27 जून 2023 को कंट्रोलर ने 90 दोनों के लिए प्राचार्य नियुक्त करने की धारा 1220 का उपयोग करते हुए डॉ डीसी गुप्त को पुनः कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया। जो लगातार बाउंड्री वॉल, छात्रावास सहित महाविद्यालय के अन्य टूटे-फूटे कार्यों को निर्माण कार्य कराते हुए लगातार विद्यालय के विकास हेतु प्रयासरत थे। पठन-पाठन के माहौल में भी सुधार हुआ था। लेकिन इसी बीच कंट्रोलर ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए डी सी गुप्त को27फरवरी 2023 के वित्तीय अनियमितता की जांच पर दोषी होने का आरोप लगाते हुए प्राचार्य पद के दायित्व से पुनः मुक्त कर दिया और चौथी बार महाविद्यालय के चौथे नंबर के सीनियर प्रवक्ता डॉ अवधेश मिश्रा को कार्यवाहक प्रिंसिपल का दायित्व थमा कर कुर्सी पर बैठा दिया।
सवाल उठता है कि महाविद्यालय में लगातार कुछ महीनो के अंतराल पर प्रिंसिपल बदलने के अनुप्रयोग जो लगातार चल रहे हैं क्या उससे महाविद्यालय का पठन-पाठन अच्छा हो पाएगा। क्या विद्यालय में पढ़ाई का माहौल बन पाएगा या प्रिंसिपल का पद पाने की चाहत रखने वाले अन्य प्रोफेसर भी अपनी राजनीतिक और अन्य जूगत भिड़ाकर प्रिंसिपल का पद लेने का प्रयास करते रहेंगे। इस संदर्भ में कंट्रोलर योगेंद्र सिंह जी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे वार्ता नहीं हो सकी।

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