बांदा में स्वास्थ्य विभाग में उस समय हड़कंप मच गया, जब नसबंदी के बावजूद 8 महिलाएं प्रेग्नेंट हो गईं. महिलाओं को जब इस बात की जानकारी हुई कि वह प्रेग्नेंट हैं तो उनके भी होश उड़ गए. इसको लेकर उन्होंने सीएमओ से शिकायत भी की है. जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि यह रूटीन प्रकिया है, हमारे बजट में है. अब इस गड़बड़ी पर पर्दा डालने के लिए 60-60 हजार रुपये का मुआवजा देने की तैयारियां हो रही हैं और महिलाओं से दस्तावेज इकट्ठा करने में जुटा है.
स्वास्थ्य विभाग ‘हम दो-हमारे दो’ का स्लोगन देता है, जिसमें गर्भ निरोधक रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से नसबंदी के कैम्प का आयोजन होता है. इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं, लेकिन बांदा में नसबंदी के बाद भी 8 महिलाओं के साथ धोखा हो गया. जब वह प्रेग्नेंट हो गईं तो सीधे स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस पहुंच गईं. बता दें जिले के मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल समेत कई सीएचसी में सरकार की तरफ से टारगेट भी दिया जाता है. जिस पर महिलाएं नसबंदी के बाद बेफिक्र हो जाती हैं, लेकिन जब ऐसी गड़बड़ी सामने आती है तो महिलाओं का भी मन बदलता जा रहा है.
स्वास्थ्य केंद्र बबेरू में तीन, बिसंडा में दो, बड़ोखर कमासिन और जिला अस्पताल में एक-एक महिलाओं की नसबंदी के बाद प्रेग्नेंट हो गईं. स्वास्थ्य विभाग महिलाओं के दस्तावेज की जांच कर उन्हें मुआवजा देने की प्रक्रिया कर रहा है. नसबंदी में नस बंधने के बाद कभी कभी डिफॉल्ट के केस आ जाते हैं. कहीं एक नस बांधने आदि में समस्या हो जाती है या दूसरी तरफ से गर्भ ठहर जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक बांदा के CMO डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि यह एक रूटीन प्रक्रिया है, पिछले सालों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जब नसबंदी डिफॉल्ट हो जाती है तो उसके अगले 3 महीने में मुआवजे का प्रावधान है. जहां फ़ाइल बनाकर शासन को भेजी जाती है, जिसके बाद उन्हें 60 हजार रुपये दिया जाता है, लोग दावा भी करते हैं, अब इन महिलाओं के दस्तावेजों की जांच कराई जा रही है, इसे लापरवाही नहीं कह सकते क्योंकि ऐसे केस सामने आते रहते हैं, नसबंदी के बाद डिफॉल्ट हो जाते हैं.