फतेहपुर: प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण बजट के अभाव व मौरंग की किल्लत में औंधे मुंह गिर गया है। करीब ढाई लाख शौचालयों के निर्माण के लिए मांगी गयी तीन अरब की धनराशि में अब तक मात्र 28 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। शौचालय निर्माण पूरा हो इसके लिए अब भी जिले में 2.78 अरब की जरूरत है।
लेकिन डिमांड के बाद भी यह धनराशि न मिलने तथा बाजार में प्रति ट्राली मौरंग का रेट दस हजार पहुंचने से शौचालयों का निर्माण लटक गया है। आलम यह है कि मात्र 22 हजार शौचालय बन पाए हैं जबकि 6 हजार शौचालयों का निर्माण दूसरी किस्त की धनराशि न मिलने और मौरंग मंहगी होने के कारण फिनि¨सग स्तर पर लटक गया है। बजट के अभाव में शौचालय निर्माण का काम लगभग बंद होने की कगार पर है।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के बेसलाइन सर्वे की बात की जाए तो जिले में करीब पौने चार लाख परिवार शौचालय विहीन चिन्हित हुए हैं। इन परिवारों में बिना शौचालय सुविधा दिए जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित नहीं किया जा सकता। स्वयं के साधन या फिर पुरानी सरकारी योजनाओं के लाभ पर जिले में डेढ़ लाख परिवार ही ऐसे है जिनके शौचालय बने हुए हैं।
पंचायती राज विभाग ने शासन प्राप्त 28 करोड़ की धनराशि को 840 ग्राम पंचायतों के 28 हजार लाभार्थियों को शौचालय बनाने के लिए प्रदान किए थे। मात्र 22 हजार लाभार्थियों को ही 12-12 हजार देकर उनका शौचालय पूरे वर्ष में पूर्ण हो पाया। चूंकि बजट मिला नहीं ऐसे में छह हजार लाभार्थियों को दूसरी किस्त नहीं भेजी गयी, जिससे फिनि¨सग के अभाव में शौचालय अपूर्ण है। जिला पंचायत राज अधिकारी अजय आनंद सरोज का कहना है कि 28 करोड़ राशि मिली थी। उसे खर्च किया गया है। अब चूंकि मौरंग महंगी है तो लोग खुद के पास से भी खर्च करने में कतरा रहे है।
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