करवा चौथ पर अंबेडकरवादियों ने एक नई प्रथा को दिया जन्म

अपनी पत्नियों को किया महामंडित सबने किया उनका यश गुणगान

 

न्यूज़ वाणी

✍🏻ब्यूरो संजीव शर्मा

 

न्यूज़ वाणी इटावा बुद्ध विहार में हुआ प्रबुद्ध महिला सम्मान समारोह। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर एवं समाजसेवियों ने कार्यक्रम में की सहभागिता, रच दिया नया इतिहास, लकीर के नीचे खींच दी एक लंबी लकीर।
इटावा जनपद के स्थानीय डॉक्टर अंबेडकर पार्क में स्थित बुद्ध विहार में करवा चौथ वाले दिन अंबेडकरवादियों ने तथागत को साक्षी मानकर एक नई परंपरा को जन्म देते हुए एक नई प्रथा का शुभारंभ कर एक ऐसा इतिहास रच दिया जो स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा । बुद्ध विहार के सभागार में एक बैनर लगाया गया जिसमें लिखा था करवा चौथ को तिलांजलि देते हुए प्रबुद्ध महिला सम्मान समारोह। इस समारोह में अंबेडकरवादी महिलाएं व सज धजने के साथ प्रवेश करती हैं फिर भंते जी की अध्यक्षता में समारोह संपन्न होता है। इसमें आम जन के साथ डॉक्टर, इंजीनियर ,प्रोफेसर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी अपनी अपनी पत्नियों के साथ पधारते हैं ।

 

 

 

फिर शुरू होता है पत्नियों का यश और गुड़गान । पत्नियों को किया जाता है महामंडित और किया जाता है उनके बलिदान योगदान का बखान, कहा जाता है कि हमारी पत्नियां (जीवनसाथी) यदि संकट की घड़ी में हमारा साथ न देती तो आज हम इस उच्च स्थान पर नहीं पहुंच पाते । बारी-बारी से अपने-अपने संस्मरण सब ने सुनाएं, जिससे वहां का वातावरण भावुक हो उठा। ऐसा लग रहा था कि लोग अपनी सफलता के प्रति अपनी पत्नियों की कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं। यह एक ऐसा अविस्मरणीय क्षण खादिम के लिए ही नहीं बल्कि सारे समाज के लिए था , जिससे सबकी आंखें नम हो गई ।

 

 

वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर बलवीर सिंह ने अपनी डॉक्टर पत्नी की शान में कसीदे पढ़ना शुरू किए ,तब वातावरण खुशनुमा हो गया , उन्होंने कहा कि मैं अपनी पत्नी से समारोह में आने से पहले यह वादा किया कि डॉक्टर साहिबा आज से मैं भी कुछ समय आपके साथ रसोई में आपके कार्य में सहयोग करने के लिए बिताऊंगा । हम कहते हैं कि आप लोग भी अपनी अर्धांगिनी से ऐसा ही कुछ वादा करें । ताकि इस दिन की सार्थकता को चार चांद लग जाएं ।आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एमपी सिंह ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजकों को मैं इस अनोखे और अनमोल कार्यक्रम के लिए बधाई देता हूं कि उन्होंने एक नई परंपरा को जन्म देकर नारियों का सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है।

 

 

 

शिक्षाविद प्रोफेसर डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि ऐसा विचार मेरे मन में बहुत दिनों से घुमड़ रहा था कि समाज में कोई ऐसा आयोजन हो जिसमें सारे लोग अपनी धर्मपत्नियों को महामंडित करें । आज का दिन ऐतिहासिक है जिसने एक नई इबारत लिखने का कार्य किया है । हमसे पूर्व जो वक्ताओं ने अपने जीवन साथियों के लिए जो प्रेरणादायक विचार व्यक्त किए हैं उस समाज को नई दिशा अवश्य मिलेगी । उन्होंने कहा कि समाज में अन्य कुरीतियों को जिसमें दहेज रूपी दानव हमारे समाज में महिलाओं को उनके हक और जिंदगी से वंचित करने का काम कर रहा है। हमें बहुत जल्द इस दहेज रूपी दानव का भी उन्मूलन करना होगा ।

 

 

वरिष्ठ इंजीनियर हरिश्चंद्र जी ने कहा कि समाज तभी बदलेगा जब उसके सामने कोई नया वास्तविक विकल्प सामने लाया जाएगा। आज हमें फिर से गुलाम बनाएं रखने के लिए संगोल तथा लाया गया जो घातक है। इसके अर्थ को समझना होगा।
डॉक्टर बलवीर सिंह की पत्नी डॉक्टर सुमन ने कहा हम आप सब लोग बौद्धिक श्रेणी में आते हैं हमें समाज के अंतिम व्यक्ति की मुस्कान के लिए कार्य करना चाहिए। आप हम जिस उच्च शिखर पर पहुंचे हैं उसमें डॉक्टर अंबेडकर की धर्मपत्नी रमाबाई के त्याग और बलिदान का बहुत बड़ा योगदान है ।डॉक्टर अंबेडकर साहब ने जीवन भर सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।

 

 

 

कौमी तहफफुज कमेटी के संयोजक एवं सियासी अखाड़ा के संपादक खादिम अब्बास ने बखान करते हुए कहा कि इतिहास लिखे नहीं जाते बल्कि गढ़े जाते हैं। जगत जननी मातृशक्ति के हमारे सामने एक ऐसा इतिहास लिख और गढ़ रहीं हैं ,जो आने वाले समय में एक पत्थर की लीक बन जाएगी । हमारा आप सबसे सवाल है कि किसी के घर में एक नन्हे से मेहमान आगमन की खुशियों का माहौल होता है तो पूरे परिवार में पत्नी के के साथ अन्य लोग प्रभु या उसका जो भी ईस्ट होता है उससे इस बात की कामना और प्रार्थना करते हैं ,कि विधाता मुझे बेटा ही देना।

 

 

 

आखिर हमारा समाज बेटी देने की कामना क्यों नहीं करता? जबकि बेटियां अपने माता-पिता और परिवार का सबसे अधिक ध्यान रखती हैं। उन्होंने कहा कैसी काया और माया है, कि बेटा सड़कों पर आवारा गर्दी करता है ,सीटी बजाता है ,तमंचे लहराता और न जाने क्या-क्या करता है? लेकिन हमारी बेटियां कहीं पर भी न तो गालियां बकती हैं ,ना शराब और सिगरेट पीती हैं ,इन तमाम बुराइयों से हमारी बेटियां सदैव दूर रहती हैं, इस सच्चाई को जानने के बाद भी हम विधाता से कहते हैं कि हमें बेटा ही देना । खादिम ने प्रधानमंत्री पर नरेंद्र मोदी पर सीधा कटाक्ष करते हुए कहा कि आज करवा चौथ है तमाम सुहागानों की तरह मोदी की धर्मपत्नी यशोदा बेन भी निर्जला व्रत रखकर अपने पति के दीर्घआयु होने की कामना करती है पर मोदी जी नहीं सारा संसार जानता है कि जशोदाबेन किसी परिवार की बेटी व बहन है, तथा वह प्रधानमंत्री मोदी की पत्नी हैं ,आखिरकार वह उन्हें इस प्रकार के अधिकार और सुख से वंचित क्यों किए हुए हैं ?

 

 

 

 

क्या मोदी जी यही भारतीय संस्कृति है ?क्या उनके राष्ट्रवाद ,नारी सशक्तिकरण की यही व्याख्या है ?आज के दिन हम तमाम बेटियों को उसे बेटी के सम्मान में उठ खड़ा होकर मोदी को दर्पण दिखाना चाहिए। ऐसा घोर अन्याय और अत्याचार वह अपनी धर्मपत्नी के साथ क्यों कर रहे हैं? खादिम ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि पति पत्नी गाड़ी के दो पहिए होते हैं ,लेकिन खादिम को इस बात का गर्व हासिल है कि मेरी पत्नी (शरीके हयात) गाड़ी के दोनों पहिए थी। ग्रामीण अंचल की होने के उपरांत भी मुफलिसी गरीबी में रहने के बाद भी उसने अपनी दोनों बेटियों और बेटों को उच्च शिक्षा दिलाकर कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर उनकी शादी तथा रोजगार से लगाए, वह हमारे अलावा सभी मिशनरी साथियों की मार्गदर्शिका तथा अपने खबिंद (पति )की प्रेरणा स्रोत बनी।

 

 

 

 

जिसके कारण खादिम ने अपने महापुरुषों के मिशन को इतनी दूर तक ले जाने की हिम्मत जुटा पाई।हमें यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि हर पति अपने पत्नी के यश गान और गुणगान कर रहा है। सही मायने में अंबेडकरवादियों ने आज के करवा चौथ कोके अवसर पर एक ऐसा सुनहरा इतिहास लिखने का कार्य किया है, इसे ही कहते हैं की लकीर के नीचे लंबी लकीर खींचना । उनका यह यह अनूठा प्रयास आगे चलकर मील का पत्थर बनेगा। इस प्रयास से आने वाली पीढ़ियां गौराबांवित होंगी।
इस कार्यक्रम के आयोजन में अध्यापक कैलाश नारायण बौद्ध इंजीनियर नरेश चंद्रा ,अध्यापक ब्रह्मानंद बौद्ध, कानूनगो सर्वेश शिरोमणि, विनोद त्रिशरण, अखिलेश कुमार ,वरुण कुमार, हेमंत, आनंद प्रिय गौतम, सत्य प्रकाश, सरनाम सिंह बौद्ध, सुभाष चंद्र बॉस, जय कुमार सत्यार्थी, सत्यनारायण बौद्ध, अध्यापक प्रेम पाल, बृजेंद्र कुमार गौतम ,अमरनाथ आजाद, श्याम सुंदर, अमन, राजेश आर्य, संजय बौद्ध की उपस्थित सराहनी रही।

 

 

 

इसके साथ ही सम्मानित साथी जो अपनी पत्नियों के साथ कार्यक्रम में पधारे थे जिसमें डॉ. बलवीर सिंह व उनकी पत्नी डॉ.सुमन , नेत्रपाल बौद्ध व उनकी पत्नी ज्योति बौद्ध, प्रेम सिंह अंबेडकर उनकी पत्नी पुष्पा अंबेडकर ,रामनरेश आजाद व उनकी पत्नी अंशू राव, खेमानंद व उनकी पत्नी किरण बौद्ध, के वी दोहरे व उनकी पत्नी सुमित्रा दोहरे ,प्रवीण कुमार सिंह बौद्ध उनकी पत्नी प्रवेश गोयल ,सतीश कुमार निगम व उनकी पत्नी रीता सिंह निगम, डॉक्टर अमर सिंह व उनकी पत्नी पुष्पा गौतम, आनंद स्वरूप व उनकी पत्नी मनोरमा तथा डॉक्टर एमपी सिंह भी अपनी पत्नी श्रीमती अंजलि सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई है।कार्यक्रम के आयोजकों में बी एस आई के आर एन आजाद तथा बुद्धिस्ट ऑफ सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुकेश कुमार द्वारा सपत्नीक पधारे जोड़ों को अंग वस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अध्यापिका प्रवेश गोयल एवं रीता सिंह ने किया।

 

 

 

 

 

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