रेप : खौफ ऐसा कि 6 साल बाद दर्ज करा पाई FIR रेप में बाहुबली को 15 साल कैद

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय मिश्रा को रेप केस में भदोही की MP/MLA कोर्ट ने शनिवार को 15 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने मिश्रा पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

एक गायिका ने मिश्रा पर 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान डरा-धमकाकर कई बार दरिंदगी करने का आरोप लगाया था। गायिका ने मिश्रा के बेटे विष्णु और नाती ज्योति पर भी दरिंदगी का आरोप लगाया था। कोर्ट ने 3 नवंबर को मिश्रा को दोषी माना था। मगर, बाहुबली के बेटे और नाती के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने के चलते उन्हें बरी कर दिया।

फिलहाल, विजय आगरा की जेल में, तो बेटा विष्णु लखीमपुर खीरी की जेल में बंद है। इस मामले में बरी होने के बाद भी विष्णु जेल में ही रहेगा, क्योंकि उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट का भी केस चल रहा है। साल-2022 में उसके कई ठिकानों से पुलिस और क्राइम ब्रांच ने AK-47 सहित कई हथियारों का जखीरा बरामद किया था।

विजय मिश्रा के खिलाफ 83 मुकदमे दर्ज हैं। इससे पहले विजय मिश्रा को आर्म्स एक्ट में 2 बार सजा हो चुकी है। पहली बार– भदोही कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2022 को 2 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 हजार का जुर्माना लगाया था। दूसरी बार- प्रयागराज कोर्ट ने 18 मार्च 2023 को 5 साल की सजा सुनाई थी और 10 हजार का जुर्माना लगाया था।

सिंगर ने कहा था- कपड़े बदलने के दौरान विधायक कमरे में घुस आया और रेप किया
वाराणसी के जैतपुरा की रहने वाली गायिका ने भदोही के गोपीगंज थाने में विजय मिश्रा समेत 3 के खिलाफ 18 अक्टूबर 2020 को FIR दर्ज कराई थी। पीड़िता का आरोप था कि विजय मिश्रा 2014 से उसका शारीरिक शोषण कर रहा था।

तहरीर में उसने 1 जनवरी 2014 से 18 दिसंबर 2015 के बीच अपने साथ हुई घटनाओं का जिक्र किया था। उसका कहना था कि साल 2014 में विधायक विजय मिश्रा ने एक कार्यक्रम के लिए उसे बुलाया था।

”मुंह खोला, तो अंजाम बुरा होगा”
स्टेज पर जाने से पहले जब वह चेंजिंग रूम में कपड़े बदल रही थी, उसी समय विजय कमरे में घुस आया और रेप किया। कमरे में रखे असलहों को दिखाकर धमकी दी कि मुंह खोला, तो अंजाम बुरा होगा। इसके बाद विधायक ने अपने बेटे विष्णु और नाती विकास को बुलाकर उसे वाराणसी छोड़ने के लिए कहा। इसके बाद उन दोनों ने भी रेप किया।

फिर 2015 में प्रयागराज के अल्लापुर में अपने घर बुलाकर भी रेप किया। इसके अलावा नौकरी दिलाने का भरोसा देकर होटल में बुलाकर भी विधायक ने शारीरिक शोषण किया। तंग आकर वह 2016 में मुंबई चली गई। मगर, विधायक लगातार वीडियो कॉल कर अश्लील हरकतें करता रहा। मैं उसके रसूख और खौफ के चलते चुप रही। लेकिन, अब उसकी हरकतें बर्दाश्त के बाहर हो गई थीं। इसलिए 6 साल बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रही हूं।

 मुलायम की शरण में पहुंचे और विधायक बने 

90 के दशक में विजय मिश्रा पहली बार ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में उतरा। जमकर पैसा लुटाया। जिसने वोट नहीं दिया, उसे उठवा लेने के आरोप लगे। नतीजा आया तो विजय ने एकतरफा जीत दर्ज की। विजय ने इसके बाद जिला पंचायत में हाथ अजमाने की तैयारी शुरू की और मुलायम सिंह यादव की शरण में आ गया।

उस वक्त भदोही के जिला पंचायत अध्यक्ष शिव करण यादव उर्फ काके हुआ करते थे। काके ने मुलायम सिंह के बारे में कई बार अपशब्द बोला था। इसलिए मुलायम ने विजय मिश्रा को आगे बढ़ाया और जिला पंचायत के 3 टिकट दिए। विजय के तीनों प्रत्याशी जीत गए। इसके बाद मुलायम के लिए विजय मिश्रा किसी मोहरा से कम नहीं थे।

2002 में विधानसभा चुनाव होना था। विजय मिश्रा ने विधायकी का टिकट मांगा। मुलायम सिंह ने शर्त रखी कि अपने साथ भदोही की दोनों सीटों व मिर्जापुर के भी सभी सपा उम्मीदवारों को जिताओगे। विजय ने शर्त स्वीकार कर ली। चुनाव हुआ तो न सिर्फ विजय जीता, बल्कि मिर्जापुर से कैलाश चौरसिया और हंडिया से महेश नारायण सिंह को चुनाव जितवा दिया। विजय ने ज्ञानपुर सीट पर बीजेपी के गोरखनाथ पांडेय को 7,652 वोटों से हराया।

अखिलेश ने काट दिया था टिकट

2017 आते-आते सपा अखिलेश यादव के फैसलों पर चलने लगी। पार्टी ने विजय मिश्रा का टिकट काट दिया। उस वक्त विजय मिश्रा ने कहा, नेताजी को जब तक विजय मिश्रा से काम था तब तक हम बाहुबली नहीं थे। लेकिन जब काम खत्म हो गया तो हम अचानक बाहुबली हो गए। अगर हम बाहुबली ही होते तो इन्होंने 2012 में टिकट क्यों दिया? 2014 में मेरी बेटी को लोकसभा का टिकट क्यों दिया? 2016 में मेरी पत्नी को MLC का टिकट क्यों दिया?

सपा ने टिकट काटा तो निषाद पार्टी से खड़े हो गए। बीजेपी के महेंद्र कुमार बिंद को 20,230 वोटों से हरा दिया। हालांकि, जिस पार्टी से जीता उसी पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ हो गए। नतीजा ये हुआ कि पार्टी ने उसे निकाल दिया। यहां से विजय मिश्रा के बुरे दिन शुरू हो गए।

नेताओं को माला नहीं, सोने की चेन पहनाता था

विजय मिश्रा नवरात्रि में व्रत रहता था। 11 पंडित पूरे 9 दिन जप करते थे। आखिरी दिन हवन होता था। इसमें 40 हजार लोग भोजन करते थे। विजय मिश्रा ब्राह्मणों को दक्षिणा में पैसे-अनाज के साथ एक गाय देता था। यह क्रम लगातार चलता रहा, आगे चलकर तो जीत के लिए यज्ञ करवाना लगा।

यज्ञ में आहुति देने के लिए विधानसभा के हर हिस्से के लोगों को बुलाया जाता था। विजय की आस्था कहिए या फिर रवैया एकदम अलग था। उससे जुड़े लोग बताते हैं कि कई बार जब विजय मिश्रा काफिले के साथ निकलता, तो अचानक बीच रास्ते में रास्ता बदल देता था, “कहता था कि देवी ने कहा है कि इधर जाने पर दुर्घटना हो सकती है।”

विजय को नेताओं को लुभाना आता था। पार्टी के बड़े नेता जब भदोही के सीतामढ़ी में दर्शन करने पहुंचते तो विजय उन्हें अपने यहां खाने पर बुला लेता थे। स्वागत के लिए उन्हें फूलों की माला नहीं बल्कि सामने वाले की हैसियत के बराबर वजन की सोने की चेन पहनाता था। और चेन का डिब्बा उनके ही जेब में डाल देता थे, ताकि सामने वाले को चेन का वजन पता करने के लिए सोनार की दुकान पर न जाना पड़े।

 

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