चार दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत आज से 

नहाय खाय के साथ शुरू होगी छठ पूजा
हमीरपुर। सुमेरपुर कस्बे में चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है। इसमें सूर्यदेव एवं षष्ठी माता की पूजा का महत्व है। छठ पर्व मनाने वालों से जानते हैं कि चार दिनों तक चलने वाले पर्व में किस दिन क्या किया जाएगा।
पंचांग के अनुसार छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इसकी शुरुआत चतुर्थी तिथि से नहाए खाए के साथ हो जाती है और सप्तमी तिथि के व्रत का पारण किया जाता है। लोक आस्थाओं का महापर्व छठ पूरे चार दिनों का चलता है। शुक्रवार से शुरू हो रहे इस पर्व की तैयारी शुरू हो गई है और घर-घर छठ मैया व सूर्यदेव के गीत भी गए जा रहे हैं। बता दें कि चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व उषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्यदेव की बहन षष्ठी माता को समर्पित है। इसमें विशेष रूप से सूर्यदेव को अर्ध्य देने की परंपरा है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। आज भी लोग भक्ति भाव और पूर्ण श्रद्धा के साथ इसे मानते हैं। इसलिए इसे लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है। इस दिन व्रती नहाए खाए के साथ छठ पर्व की शुरुआत करेंगे। वहीं 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत पारण के साथ इसका समापन होगा। छठ पर्व सुहाग की लंबी आयु, संतान की सुखी जीवन और घर पर सुख समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। सुमेरपुर कस्बे में रह रहे बिहार प्रान्त के निवासी महेश ठाकुर, सोनू सिंह, घासीराम, कृपाशंकर, राजन चौबे आदि ने बताया कि छठ पर्व की शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है। यह दिन बहुत खास होता है। इस साल नहाए खाए की परंपरा शुक्रवार 17 नवंबर को है। नहाए खाए के दिन व्रती सुबह नदी स्नान करती हैं और इसके बाद नए वस्त्र धारण कर प्रसाद ग्रहण करती हैं। छठ पूजा के नहाए-खाय में प्रसाद के रूप में कद्दू,चना दाल की सब्जी, चावल आदि बनाए जाते हैं। सभी प्रसाद सेंधा नमक और घी से तैयार होता है। व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य भी इस सात्विक प्रसाद को ग्रहण करते हैं। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना होता है। जो इस साल शनिवार 18 नवंबर को है। खरना के दिन व्रती केवल एक ही समय शाम में मीठा भोजन करती हैं। इस दिन मुख्य रूप से चावल की खीर का प्रसाद बनाया जाता है। जिसको मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। तीसरे दिन 19 नवंबर को छठ पूजा होगी। इस दिन घर परिवार के सभी लोग घाट पर जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। पूजा में सूप में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि प्रसाद को सजाकर कमर तक पानी में रहकर परिक्रमा करते हुए अर्ध्य देने की परंपरा है। छठ पूजा के चौथे दिन यानी सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है। यह 20 नवंबर को होगा।
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