इजराइल-हमास जंग में नागरिकों की मौत से दुखी पीएम मोदी: ग्लोबल साउथ समिट में कहा- ये देश नक्शे में थे

 

विदेश के शहर फिलिस्तीन में हो रही इजराइल-हमास जंग के बीच भारत में वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ के दूसरे समिट (VOGSS) का वर्चुअल आयोजन हो रहा है। इस दौरान सदस्य देशों को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा- दुनिया के नक्शे में ग्लोबल साउथ हमेशा से था, लेकिन उसे आवाज अब मिल पाई है। ये सब साथ मिलकर काम करने से हो पा रहा है। हम भले ही 100 से ज्यादा देश हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकताएं एक जैसी हैं।

PM मोदी ने कहा- वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती दुनिया को दिखाने वाला सबसे अनोखा मंच है। समिट के शुरुआती सेशन में मोदी ने कहा- वेस्ट एशिया में हो रही घटनाओं से नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं।

 

 

PM बोले- भारत ने पहले भी 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले की निंदा की थी। हमने हमेशा बातचीत और कूटनीति से मामले सुलझाने पर जो दिया है। हम इजराइल-हमास की लड़ाई में नागरिकों की मौत होने की भी निंदा करते हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘5 C’ यानी कंसल्टेशन, कम्यूनिकेशन, को-ऑपरेशन, क्रिएटिविटी और कैपेसिटी बिल्डिंग पर जोर दिया। PM मोदी ने आगे कहा- फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महामूद अब्बास से बात करने के बाद हमने फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता भेजी। इस समय दुनिया की भलाई के लिए ग्लोबल साउथ के देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

 

 

मोदी ने कहा- हमने जनवरी में पहले वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ का आयोजन किया था। G20 समिट पर बात करते हुए प्रधानमंत्री बोले- भारत के अलग-अलग राज्यों में हुई G20 की करीब 200 बैठकों में ग्लोबल साउथ के मुद्दों को प्राथमिकता दी गई।

इसी वजह से जब समिट का साझा घोषणा पत्र नई दिल्ली लीडर्स डेक्लेरेशन जारी हुआ तो उसमें ग्लोबल साउथ को शामिल किया गया और इस पर सबने सहमति भी जताई। मैं आज भी उस ऐतिहासिक पल को नहीं भूल सकता जब भारत की कोशिशों से अफ्रीकन यूनियन को G20 की सदस्यता मिली।

 

 

आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस पर बात करते हुए PM मोदी ने कहा- भारत का मानना है कि नई तकनीक आने की वजह से ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच का अंतर बढ़ना नहीं चाहिए। AI के समय में ये बेहद जरूरी है कि तकनीक का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ हो। इसी भावना को आगे बढ़ाने के लिए भारत अगले महीने आर्टिफिशियल ग्लोबल पार्टनरशिप समिट का आयोजन करेगा।

ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) का आयोजन 12-14 दिसंबर के बीच नई दिल्ली में होगा। इस समिट का फोकस AI और इसके अलग-अलग पहलुओं पर रहेगा। इसमें डेटा गवर्नेंस, इनोवेशन और भविष्य में AI के इस्तेमाल पर चर्चा होगी। VOGSS के देश में 10 सेशन होंगे। वर्चुअली चल रहे इस समिट में बांग्लादेश, मॉरिशस, भूटान, इंडोनेशिया, फिलिपीन्स जैसे कई देश शामिल हुए हैं।

 

 

 

PM मोदी इसके समापन समारोह को भी संबोधित करेंगे। इस समिट का फोकस G20 बैठकों में भारत की अध्यक्षता के दौरान प्रमुख मुद्दों पर निकले सकारात्मक परिणामों के बारे में बताना है। इस दौरान वैश्विक विकास से पैदा हुईं चुनौतियों पर भी चर्चा हो सकती है।

इस बार के VOGSS समिट के शुरुआती सेशन की थीम ‘सबके विश्वास के साथ सबके विकास के लिए’ रखी गई है। वहीं समापन समारोह की थीम ‘ग्लोबल साउथ- एक साथ एक भविष्य के लिए’ रखी गई है। इस समिट के सभी इवेंट्स की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। मंत्रियों के सत्रों का आयोजन शाम चार बजे से शुरू होगा। इस दौरान ऊर्जा, स्वास्थ्य और वाणिज्य मंत्री सत्रों में शामिल होंगे। समिट का समापन सत्र शाम 6.30 बजे होगा।

 

 

 

आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर दुनिया को दो हिस्सों में बांटा गया है। एक है- ग्लोबल नॉर्थ और दूसरा- ग्लोबल साउथ। ग्लोबल नॉर्थ में अमेरिका, जापान, कोरिया, यूरोपीय देश जैसे दुनिया के विकसित और समृद्ध देश शामिल हैं। जबकि, ग्लोबल साउथ में आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर कम विकसित या विकासशील देश हैं। इसमें लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया के देश हैं।

इससे पहले 12-13 जनवरी को पहले वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इसमें चीन शामिल नहीं हुआ था। चीन के विदेश मंत्रालय ने तब बताया था कि भारत ने उन्हें समिट से जुड़ी जानकारी दी थी। चीन विकासशील देशों के महत्व को अहमियत देता है।

 

 

हालांकि, उन्होंने इस सम्मेलन में न जुड़ने की कोई वजह नहीं बताई थी। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत ने समिट के लिए चीन को न्योता ही नहीं दिया था। ड्रैगन के अलावा इस समिट में ब्राजील और पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी दूर रखा गया था।

 

 

 

 

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