विदेश के शहर फिलिस्तीन में इस्राइल और हमास के बीच बंधकों को रिहा करने को लेकर एक समझौते को लेकर बातचीत हो रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है। खबरों के अनुसार, इस्राइल, अमेरिका और हमास के बीच बंधकों को रिहा करने का यह समझौता होने जा रहा है। इस समझौते के तहत इस्राइल पांच दिनों तक गाजा में सीजफायर को मंजूरी देगा। हालांकि इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है अभी तक ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है।
बता दें कि इस्राइल पर इन दिनों भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वह गाजा में अपनी सैन्य कार्रवाई रोके। वहीं इस्राइल की सरकार साफ कर चुकी है कि जब तक उसके बंधक रिहा नहीं हो जाते और हमास का खात्मा नहीं हो जाता, वह अपना ऑपरेशन नहीं रोकेंगे। नेतन्याहू ने कहा कि अभी तक की लड़ाई में हमने काफी कुछ हासिल किया है। हमने हजारों हमास के आतंकियों को ढेर किया है और इनमें हमास के वरिष्ठ कमांडर भी शामिल हैं। हमने सुरंगे तबाह की हैं और अभी भी कर रहे हैं। इस्राइल के रक्षा मंत्री ने भी माना कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में कथित समझौते को लेकर दावा किया जा रहा है लेकिन अभी तक ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जब भी ऐसा कुछ होगा, तो वह इसके बारे में जानकारी जरूर देंगे।
बता दें कि अब बंधकों को छुड़ाने के लिए इस्राइली सरकार पर आंतरिक दबाव भी बन रहा है। शनिवार को यरूशलम में हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर बंधकों को जल्द रिहा कराने की मांग की। लोगों ने नेतन्याहू सरकार की भी आलोचना की। वहीं नेतन्याहू ने अमेरिका और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि अमेरिका की तरफ से लगातार अहम हथियार और रक्षा उपकरण भेजे जा रहे हैं और अमेरिकी कांग्रेस में भी इस्राइल को पूरा समर्थन मिल रहा है।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एलान किया है कि इसके अधिकारी गाजा के अल शिफा अस्पताल से मरीजों और स्टाफ सदस्यों को अगले 24 से 72 घंटे में निकालने की तैयारी कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अभी भी 25 स्टाफ सदस्य और 291 मरीज अस्पताल में मौजूद है। वहीं इस्राइली सेना भी अस्पताल में अपना ऑपरेशन चला रही है। अल शिफा अस्पताल के मरीजों को नासेर अस्पताल और यूरोपियन अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि ये दोनों अस्पताल पहले से ही तय सीमा से ज्यादा मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ऐसे में और मरीजों के आने से इन अस्पतालों में हालात और खराब हो सकते हैं।