न्यूज़ वाणी
ब्यूरो मुन्ना बक्श
बांदा। महेश्वरी देवी मंदिर से रवाना हुए पैदल यात्रा और पूरे शहर में भृमण करते हुए कालु कुआं चौकी से होते हुए तिन्दवारी रोड़ स्थित पीताम्बर माई मंदिर में स्थापित बाबा खाटूश्यामजी जी निशान स्थापित किया गया
यह कार्यक्रम खाटूश्यामजी मंडलीय सदस्य द्वारा आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न जिलों से बाबा जी निसान यात्रा पर शामिल हुए चप्पे-चप्पे पुलिस बल तैनात रहा और पैदल यात्रा भी पुलिस शामिल हुई
: ‘हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा…’ यह वो लाइन है जिसे पढ़कर और सुनकर हर कोई निश्चिंत हो जाता है। बाबा खाटू श्याम अपने हर एक भक्त की हर मुराद पूरी करते हैं। खाटू श्याम के मंदिर में हर दिन भक्तों की भारी भीड़ रहती है। कहते हैं कि जो कोई भी सच्चे दिल से बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने आता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।
दरअसल, 23 नवंबर को खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव मनाया गया। इस दिन बाबा खाटू श्याम की विधि-विधान के साथ पूजा के साथ कई प्रकार के भोग गया 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी भी मनाई जा रही। इसी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपने शयनकाल से जागते हैं और फिर सभी मांगलिक कार्यक्रम आरंभ हो जाते हैं।
बाबा खाटू श्याम जन्मोत्सव
हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जी जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस खास मौके पर खाटू श्याम मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए अलग-अलग जगहों से भक्त जुटते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने जाता है उसकी हर अधूरी मुराद पूरी हो जाती है। साथ ही व्यक्ति को सभी दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
बाबा खाटू श्याम से जुड़ी हुई बातें
बाबा खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था। वे भीम और हिडम्बा पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। उन्हें भगवान कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कलयुग में उन्हें श्याम नाम से पूजा जाएगा। दरअसल, बर्बरीक काफी बलशाली थे और वे महाभारत के युद्ध में जिस भी तरफ से लड़ते जीत उन्हीं की होती। ऐसे में भगवान कृष्ण ने उनसे उनका शीश मांग लिया। तब बर्बरीक ने अपना शीश काट कृष्ण के चरणों में रख दिया। भगवान कृष्ण बर्बरीक के बलिदान से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे ही नाम से पूजे जाओगे और जो तुम्हारी शरण में आकर सच्चे मन से कुछ भी मांगेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी। वहीं कहते हैं कि वरदान के बादा बाबा श्याम का शीश राजस्थान के खाटू नाम के स्थान पर दफनाया गया जो कि राजस्थान के सीकर जिले में है। इसी वजह से आगे चलकर बाबा श्याम को खाटू श्याम के नाम से जाना जाने लगा।