ठंड में इंदौर के जू में जानवरों के लिए किए गए इंतजाम: सांपों के लिए हीटर, हिरण के लिए बिछाई सूखी घास
इंदौर में ठंड के कारण जू के जानवरों के लिए भी इंतजाम बदले गए हैं। उनके आसपास गर्मी बनाए रखने के लिए हीटर, चादर समेत तमाम प्रयास किए हैं ताकि उनकी सेहत पर निगेटिव असर ना पड़े। दरअसल अरब सागर के ऊपर चक्रवाती हवाओं का घेरा बना हुआ है। टर्फ लाइन गुजरने के कारण नमी के साथ बारिश से जुड़ा सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग है।
प्राणी संग्रहालय में 175 प्रजाति के 1350 से ज्यादा वन्य प्राणी हैं। चिड़ियाघर में सांप के लिए सबसे बड़ा स्नेक हाउस बना है। यहां हीटर लगा दिया है। बड़े बल्ब और हैलोजन भी हैं। पिंजरे में गर्म कपड़े और कंबल डाले गए हैं। ऊपर बनाए गए डक्ट से धूप भी मिलती रहे, यह भी व्यवस्था की है। दिन में धूप अंदर आ सके इसलिए सुबह शेड हटाए जाते हैं।
हिरण के लिए बिछौने के रूप में सूखी घास बिछाई गई है। बाघ और शेरों के बाड़े में भी लकड़ी के फट्टे बिछाए गए हैं, ताकि जानवर ठंडे फर्श के सीधे संपर्क में न आएं। बाघों के बाड़े के पास पेड़ों की कटाई-छटाई भी की जा रही है, ताकि वे धूप सेंक सकें।
इंदौर में रविवार को हुई जोरदार बारिश के बाद नया सिस्टम बनने से बुधवार को भी बारिश के आसार हैं। फिर ठिठुरन बढ़ेगी जो दो दिन तक रह सकता है। मौसम केंद्र ने इस मामले में अलर्ट जारी किया है। इधर, नर्सरी से पांचवीं तक के स्कूलों का समय बदल दिया गया है।
बाड़े और पिंजरों को ग्रीन नेट से ढंका गया है। इनमें घास और भूसे की भी व्यवस्था की गई है, ताकि प्राणी उसमें बैठकर अपने शरीर का तापमान सामान्य रख सकें। चिड़ियाघर प्रभारी उत्तम यादव के अनुसार बड़े जानवरों पर ठंड का इतना असर नहीं होता, जितना सांप, बिल्ली या पॉकेट मंकी जैसे छोटे जानवरों पर होता है।
वन्य प्राणियों में रेंगने वाले प्रजाति पर ठंड का असर ज्यादा होता है इसलिए उसके लिए ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। हालांकि सर्द हवा से जानवरों को बचाने के लिए बाड़ों को तिरपाल से भी ढंक दिया जाता है, ताकि उन पर ठंड का असर न पड़े। इसके साथ ही यहां हिरण और भालू के बाड़े में सूखी घास बिछाई गई है, ताकि सीधा जमीन के संपर्क न आएं। इस पर पराली भी डाली गई है।