भारतीय एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजेगा NASA: चीफ बोले- पहली बार भारत को अंतरिक्ष से देखा था

 

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भारतीय एस्ट्रोनॉट को अगले साल तक स्पेस में भेजने के लिए ISRO की मदद करेगा। भारत दौरे पर आए नासा के चीफ बिल नेल्सन ने इसकी घोषणा की। बिल ने बताया कि नासा अंतरिक्ष यात्री की ट्रेनिंग में सहयोग करेगा।

हालांकि, एस्ट्रोनॉट का चयन इसरो खुद करेगा। इसमें नासा की कोई भूमिका नहीं होगी। दोनों स्पेस एजेंसी मिलकर मिशन की डिटेल्स पर काम कर रही हैं। 1984 में राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएगा।

 

 

नासा चीफ ने कहा- भारत अमेरिका का एक अहम पार्टनर है। साथ ही स्पेस में एस्ट्रोनॉट से जुड़ी एक्टिविटीज के लिए भी भारत भविष्य में एक अहम भूमिका निभा सकता है। मीडिया से बात करते हुए नेल्सन ने उस पल के बारे में भी बताया जब उन्होंने पहली बार अंतरिक्ष से भारत को देखा था।

दरअसल, नासा चीफ 1986 में कोलंबिया स्पेस शटल से अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। बिल ने कहा- मैंने पहली बार भारत को अंतरिक्ष से ही देखा था। सबसे पहले मैंने श्रीलंका को देखा। फिर मैंने उससे थोड़ा ऊपर नजर उठाई तो मुझे पूरा भारत दिखाई दिया। देश के सबसे ऊपर हिमालय था। पूरा नजारा स्वर्ग जैसा था।

 

 

 

चंद्रयान-3 पर बात करते हुए बिल नेल्सन ने कहा- अमेरिका अगले साल चांद के साउथ पोल पर कई प्राइवेट लैंडर लॉन्च करने वाला है। लेकिन भारत ऐसा करने वाला पहला देश था। इस पर वो बधाई के पात्र हैं। भारत की यात्रा के दौरान नेल्सन ने अंतरिक्ष विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह से भी मुलाकात की।

उन्होंने कहा- अगर भारत अपना पहला स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है तो हम इसमें उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं। भारत 2040 तक स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है। अगर वो इस पर हमारे साथ मिलकर काम करना चाहेंगे, तो हम इसके लिए तैयार हैं।

 

 

 

एक इंटरव्यू में PM मोदी की एस्ट्रोनॉट बनने की पॉसिबिलिटी पर नेल्सन ने कहा- मैं जब अंतरिक्ष में गया था तब एक राजनेता ही था। PM मोदी तो अंतरिक्ष प्रेमी हैं। किसी भी राजनेता के लिए अंतरिक्ष में उड़ान भरना एक अहम अनुभव है, खासकर जब वो एक देश के प्रधान हों। अंतरिक्ष में कोई राजनैतिक, धार्मिक या जातीय सीमाएं नहीं होती हैं। हम सब धरती के नागरिक होते हैं।

अपनी यात्रा के दौरान नासा चीफ इसरो हेडक्वार्टर भी जाएंगे। साथ ही वो भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से भी मुलाकात करेंगे। इस पर बात करते हुए बिल नेल्सन ने कहा- मैं अपने पुराने दोस्त से मिलने के लिए उत्हासित हूं। मैं राकेश से सोवियत संघ के टूटने से पहले 1991 में मिला था। हम दोनों ने तब अच्छी बातचीत की थी। मैं उनसे कई बार फोन पर भी बातचीत कर चुका हूं।

 

 

 

नासा और इसरो मिलकर अगले साल के शुरुआती क्वार्टर में NASA-ISRO सिंथेटिक अपेचर रडार (NISAR) भी लॉन्च करने वाले हैं। ये दुनिया की सबसे महंगी सैटेलाइट्स में से एक होगी। इसकी कीमत करेगी 1 अरब डॉलर है।

इस सैटेलाइट का इस्तेमाल पृथ्वी की सतह और उसकी जलवायु का निरीक्षण करने के लिए होगा। धरती पर जमीन या पानी में होने वाले किसी भी तरह के बदलाव पर इसकी नजर होगी। इससे पृथ्वी के भविष्य को लेकर अहम जानकारियां जुटाने में मदद मिलेगी।

 

 

 

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