उत्तर प्रदेश के हिंदीपट्टी के तीन अहम राज्यों में जीत के बाद भाजपा मुख्यमंत्री का नाम तय करने में जल्दबाजी के मूड में नहीं है। पूर्ण बहुमत के बावजूद पार्टी ने अभी किसी का नाम तय नहीं किया है। पार्टी में इस पर करीब-करीब सहमति है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पुराने चेहरे पर दांव लगाने के बदले नई पीढ़ी को मौका मिले।
संकेत है कि पार्टी मध्य प्रदेश में पिछड़ा और छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता पर दांव लगाएगी। चुनाव नतीजे आने के बाद रविवार देर रात पीएम नरेंद्र मोदी ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ मैराथन बैठक की थी। इस बैठक में इन राज्यों में नया नेतृत्व उभारने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। सोमवार को एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे। ऐसे में मंगलवार को संसदीय बोर्ड की बैठक होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार इसमें विधायक दल की बैठक की तारीख और पर्यवेक्षकों के नाम पर मुहर लगाई जाएगी।
चंद महीने बाद लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री का नाम तय करते समय पार्टी नेतृत्व सामाजिक समीकरण के साथ राज्य के सियासी समीकरण का भी ध्यान रखेगा। जहां तक नई पीढ़ी को मौका देने की बात है तो इस मामले में पार्टी की असली चिंता राजस्थान है जहां इसके लिए वसुंधरा राजे को साधना होगा। वसुंधरा नतीजे आने के बाद से ही न सिर्फ समर्थक विधायकों के साथ बैठकें कर रही हैं, बल्कि दूसरे खेमे के विधायकों को भी पक्ष में लाने का प्रयास कर रही हैं। राजस्थान में बहुमत का आंकड़ा बहुत बड़ा नहीं है। ऐसे में भाजपा लोकसभा चुनाव से पूर्व कोई विवाद नहीं चाहेगी।