सुमेरपुर। ब्लाक के 57 ग्राम पंचायत के साथ नगर पंचायत की कान्हा गौशाला में करीब 7000 बेसहारा गोवंश संरक्षित है। इनके लिए शासन से प्रतिमाह भूसे का भुगतान पंचायत के खातों में भेजा जा रहा है। भूसा का भुगतान करते हैं लेकिन भूसा बेसहारा गोवंश के नसीब में नहीं होता है। यह भूसे की जगह धान की पराली से पेट भर रहे हैं। वहीं कहीं कहीं यह भी नसीब नहीं हो रहा है। भूसे के भुगतान से प्रधान लकालक होकर घूम रहे हैं।
ब्लाक की 57 ग्राम पंचायत एवं कस्बे की नगर पंचायत की कान्हा गौशाला में करीब 7000 बेसहारा गोवंश संरक्षित है। अक्टूबर माह तक प्रति गोवंश 30 रुपए भूसे के लिए भुगतान मिल रहा था। नवंबर माह से प्रति गोवंश 50 रुपए प्रति दिन का भुगतान होना है। अभी यह धनराशि खातों में नहीं पहुंची है। मंगलवार को ब्लॉक की जलाला, पारा रैपुरा, पंधरी, विदोखर मेदनी, इंगोहटा आदि पंचायत की गौशाला को निरीक्षण किया गया। किसी भी गौशाला में भूसा नजर नहीं आया। पारा रैपुरा के चौकीदार लल्लूराम ने बताया कि फिलहाल धान की पराली खिलाई जा रही है। पंचायत सचिव मधु गुप्ता ने भी स्वीकार किया कि पराली खिलाई जा रही है। ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब फिलहाल वह नहीं दे सकी। जलाला में चरही से भूसा गायब था। गौशाला में बंद बेसहारा गोवंश गौशाला की जमीन चाट कर पेट भर रहे थे। प्रधान प्रतिनिधि गौरव सिंह ने बताया कि खिलाने के लिए धान की पराली लाई गई है। ऐसा ही हाल ब्लाक की लगभग सभी गौशालाओं का है। बंडा के शंकरलाल यादव का आरोप है कि गौशाला में बंद गोवंश को खाना ही नहीं दिया जाता है। रात में यह तारवाड़ी तोड़कर किसानों की फसलें नष्ट कर रहे हैं। गौशाला के नोडल अधिकारी पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अंकुर सचान ने बताया कि सभी प्रधानों व पंचायत सचिवों को निर्देशित किया गया है कि वह ठंड से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम करें और सुबह शाम गेहूं का भूसा गोवंश को खिलाया जाए। धान की पराली खिलाने का प्रावधान गाइडलाइन में नहीं है। अगर इसे खिलाया जा रहा है तो यह नियम विरुद्ध है। जांच कराकर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा।