देवाताओं को भी मन्दिर चाहिए, कोर्ट नही करती तो सरकार अध्यादेश लाये!
शाहजहांपुर 30 नवम्बर ( न्यूज़ वाणी)
स्वरूपानंद ने कोई भी निर्णय आज तक भाजपा के पक्ष में नहीं लिया है वह हमेशा कांग्रेस पार्टी के पक्ष में काम करते हैं तथा वह शंकराचार्य होकर भी पार्टी विशेष के लिए काम कर रहे हैं उन्होंने कहा कि 4 साधु इकट्ठे होकर धर्म संसद कर रहे हैं यह कोई संस्था नहीं है नहीं किसी भी धर्म संसद का कोई वैधानिक अस्तित्व भी नहीं है
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती आज यहां शाहजहाँपुर में न्यूज़ वाणी से बात कर रहे थे उन्होंने कहा कि मूर्ति लगाने के लिए मंदिर चाहिए तथा देवताओं को भी मंदिर चाहिए अगर अयोध्या में सरकार राम की मूर्ति लगा रही है तो वह सरकार का अपना फैसला है इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है उन्होंने यह भी कहा कि वाराणसी में जो विरोध हो रहा है वह योगी के निर्णय को लेकर विरोध है ना कि राम की मूर्ति लगाने के निर्णय का विरोध हो रहा है l
चिन्मयानंद ने अयोध्या में हुई धर्मसभा पर कहा कि धर्म सभा का कहीं कोई विरोध नहीं हो रहा है केवल विरोध समाजवादी के लोग कर रहे हैं जब अयोध्या में राम के मंदिर की बात हो रही है तो सभा भी वही होगी आज तक जो भी आंदोलन हुए हैं वह सब अयोध्या में ही हुए हैं कभी भी किसी साधु संत ने विधानसभा या संसद को नहीं घेरा है l
उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर हर हाल में बनकर रहेगा आज अगर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ जाए तो कल से मंदिर निर्माण चालू हो जाएगा अगर निर्णय हमारे पक्ष में नहीं होता है तो मंदिर का निर्माण हम करेंगे और इसके लिए हम संविधान बना कर मंदिर निर्माण कराएंगे l
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब लेटलतीफी होती है वहां अन्याय ही होता है उन्होंने कहां की कोर्ट की लेट लतीफी का ही परिणाम है कि 1992 में जब ढांचा ढाया गया था तब भी कोर्ट की लेटलतीफी ही कारण रही थीl
चिन्मयानंद ने कहा कि दिल्ली में किसानों ने महापंचायत की है इसका यह मतलब नहीं निकालना चाहिए कि सरकार फेल है क्योंकि वह अपनी समस्या को लेकर गए थे समस्या लेकर सरकार के पास कोई भी व्यक्ति कोई संगयह पहुंच सकता है।