उत्तर प्रदेश: संसद भवन पर हमले की 22वीं बरसी के दिन आज लोकसभा में फिर सुरक्षा चूक का मामला सामने आया। संसद की कार्यवाही के दौरान 2 युवक अचानक दर्शक दीर्घा से कूद कर बेंच पर चढ़ गए।युवकों ने अपने जूतों में कोई स्प्रे छिपा रखा था। दोनों सदन की बेंच पर कूदने लगे और इस दौरान सदन में पीली गैस फैलने लगी। इससे सदन में अफरा-तफरी मच गई। इसी बीच कुछ सांसदों ने युवकों को पकड़ लिया और उनकी पिटाई कर दी। बाद में उन्हें सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया गया।
बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को पुरानी संसद की इमारत में 5 आतंकियों ने हमला किया था। इसमें दिल्ली पुलिस के 5 जवान समेत 9 लोगों की मौत हुई थी। हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी।
लंदन में 22 मार्च 2017 को वेस्टमिंस्टर पैलेस (ब्रिटिश संसद) के बाहर आतंकी हमला हुआ था। 53 साल के खालिद मसूद नाम के एक शख्स ने अपनी कार से फुटपाथ पार करते हुए संसद में घुसने की कोशिश की थी। इस दौरान उसकी कार वेस्टमिंस्टर ब्रिज से टकरा गई थी। हमले में 5 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 50 लोग घायल हुए थे।
मसूद ने एक पुलिस अधिकारी पर भी चाकू से हमला किया था। हालांकि बाद में पुलिस ने उसे जवाबी कार्रवाई में मार गिराया था। हमले से पहले मसूद ने अपने आखिरी टेक्स्ट मैसेज में कहा था कि वह मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों में पश्चिमी देशों की सैन्य कार्रवाई का बदला लेने के लिए जिहाद छेड़ रहा है। जिस वक्त हमला हुआ, उस समय संसद के अंदर 200 सांसद मौजूद थे। सभी को सुरक्षा के लिहाज संसद भवन में ही बंद कर दिया गया था। वहीं PM थेरेसा मे को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया था।
श्रीलंका में 1987 में संसद पर ग्रेनेड से हमला हुआ था। 18 अगस्त को हमलावर ने उस कमरे में दो ग्रेनेड फेंके थे, जहां संसद सदस्य बैठक कर रहे थे। ग्रेनेड उस मेज से उछलकर गिरे थे, जहां श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने और प्रधानमंत्री रणसिंघे प्रेमदासा बैठे थे। धमाके में एक संसद सदस्य और एक मंत्रालय सचिव की मौत हो गई थी।
पुलिस जांच में पता लगा था कि हमला प्रतिबंधित जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) संगठन के एक सदस्य ने किया था। ये संगठन उस समय देश में जारी विद्रोह में शामिल था। जेवीपी के पांच सदस्यों पर हमले के लिए मुकदमा चलाया गया था, लेकिन सबूतों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमले में राष्ट्रपति जयवर्धने को भारत-श्रीलंका समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए निशाना बनाने की कोशिश की गई थी।
अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हार गए थे। इससे नाराज ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल का घेराव किया। समर्थकों ने कैपिटल हिल में तोड़फोड़ की। इसमें एक पुलिस अफसर समेत 5 लोगों की मौत हो गई। हिंसा के बाद ट्रम्प पर अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप लगा।
दरअसल, 3 नवंबर 2020 को राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुई वोटिंग में जो बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 इलेक्टोरल वोट मिले थे। नतीजे सामने आते ही ट्रम्प और उनके समर्थकों ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए। वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने वाली थी, तभी ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए।
18 महीने तक मामले की जांच चली। पिछले साल दिसंबर में जांच कमेटी ने 845 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की। इसमें ट्रम्प को दोषी ठहराया गया। उनके खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने की सिफारिश की गई। इसके लिए 1000 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे। इसके अलावा 940 से ज्यादा लोगों पर भी आरोप लगाए गए। इनमें से 500 लोग अब तक अपना जुर्म कबूल कर चुके हैं।
जांच कमेटी ने ट्रम्प पर राष्ट्रपति चुनाव में हार के फैसले को पलटने, विद्रोह भड़काने, आधिकारिक कार्रवाई में बाधा डालने, साजिश रचने, झूठे बयान देने और देश को धोखा देने के आरोप लगाए। इसके बाद कमेटी ने मामले को जस्टिस डिपार्टमेंट को रेफर कर दिया।
रूस के चेचन्या रिपब्लिक की संसद में 2010 में आतंकी हमला हुआ था। 19 अक्टूबर को चेचन्या उग्रवादियों ने ग्रोज्नी में संसद परिसर में हमला किया था। इसमें 2 पुलिस अफसरों सहित 6 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि सुरक्षाबल सभी हमलावरों को मार गिराने में कामयाब रहे थे। रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक हमलावरों ने मरने से पहले संसद की इमारत को अपने कब्जे में ले लिया था।
दरअसल, रूस ने चेचन्या के अलगाववादियों के खिलाफ चले लंबे संघर्ष के बाद 2010 में जीत की घोषणा की थी। इसके बाद कई महीनों तक बम धमाकों और गोलीबारी की वारदातें हुई थीं। तब चेचन्या में रूस समर्थक राष्ट्रपति रमजान कादिरोव का शासन था। दिसंबर 2022 में ब्राजील में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए। जिसमें राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की हार हुई। इससे नाराज उनके हजारों समर्थक पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए। उन्होंने तोड़फोड़ भी की थी। पुलिस ने हंगामा करने वाले 400 लोगों को गिरफ्तार किया था।
13 नवंबर 2007 को फिलिपींस संसद के परिसर में धमाका हुआ था। इसमें एक मुस्लिम सांसद समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी। हमला मुस्लिम सांसद वहाब अकबर की हत्या के मकसद से किया गया था। वहाब मुस्लिम विद्रोही समूह के मेंबर थे। 1996 में इस समूह ने सरकार के साथ शांति समझौता कर लिया था। इस बात से नाराज दो विद्रोहियों ने उन पर हमला कर दिया था। हमले के दौरान वहाब संसद की पार्किंग में थे।
1 अक्टूबर 2023 को तुर्किये की संसद के बाहर फिदायीन हमला हुआ था। दो आत्मघाती हमलावर संसद की तरफ बढ़े थे। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की। शूटआउट में एक हमलावर मारा गया, जबकि दूसरे ने खुद पर लगी एक एक्सप्लोसिव डिवाइस एक्टिवेट कर दी जिससे धमाका हो गया। पुलिस को संसद भवन के पास रॉकेट लॉन्चर की तरह दिखने वाला एक हथियार भी मिला था।
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में आदिवासी संप्रभुता को लेकर प्रदर्शनकारियों ने 30 दिसंबर 2021 को पुराने संसद भवन में आग लगा दी थी। हालांकि इस दौरान कोई घायल नहीं हुआ था। 32 साल का आरोपी कोयला लेकर संसद के दरवाजे पर पहुंचा और उसमें आग लगा दी। इस दौरान वहां मौजूद बाकी प्रदर्शकारी ‘इसे जलने दो’ के नारे लगा रहे थे।
12 जनवरी 2021 को एक शख्स न्यूजीलैंड की पार्लियामेंट में कुल्हाड़ी लेकर घुस गया था। उसने वेलिंगटन स्थित संसद भवन में खिड़कियां और दरवाजे तोड़ दिए थे। पुलिस ने 31 साल के इस शख्स को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि हमले की वजह सामने नहीं आई थी। 2 जनवरी 2022 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में स्थित संसद भवन में आग लग गई थी। इस वजह से संसद की छत गिर गई थी। पुलिस ने इस मामले में एक शख्स को गिरफ्तार किया था। उस पर आतंकवाद का आरोप लगा था।