मुंबई के बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप लगातार अपने कारोबार को बढ़ा रहे हैं. दोनों कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में कई सेक्टर्स में अपनी पकड़ मजबूत की है और अब ग्रीन सेक्टर में अपनी धाक जमाना चाहते हैं. इसी को मद्देनजर दोनों कंपनियों ने इलेक्ट्रोलाइजर्स के लिए प्रोडक्शन लिंक ग्रांट के लिए बोली लगाई है. इस रेस में 21 और कंपनियां भी शामिल हैं.
भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलइजर्स के प्रोडक्शन के लिए करीब 19 हजार 930 करोड़ रुपये का ग्रांट देने के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं. रिलायंस इलेक्ट्रोलाइजर मेन्युफैक्चरिंग, अडानी न्यू इंडस्ट्रीज, एलएंडटी इलेक्ट्रोलाइजर्स और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स समेत 21 कंपनियों ने इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए सरकार से मिल रहे इस प्रोत्साहन के लिए बोली लगाई है.
अधिकारिक बयान के मुताबिक, भारतीय सौर ऊर्जा निगम ने 1.5 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं, लेकिन सालाना 3.4 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन बोली लगाई गई है. बता दें इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल हाइड्रोजन उत्पादन में किया जाता है.
इस योजना के तहत (Reliance Industries) और अडानी ग्रुप के अलावा हिल्ड इलेक्ट्रिक प्राइवेट, ओहमियम ऑपरेशंस, जॉन कॉकरील ग्रीनको हाइड्रोजन सोलूशंस, वारी एनर्जीस, जिंदल इंडिया, अवादा इलेक्ट्रोलायजर, ग्रीन एच2 नेटवर्क इंडिया, अद्वैत इंफ्राटेक, एसीएमई क्लीनटेक सोलूशंस, ओरिआना पावर, मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स, एचएचपी सेवन, होमीहाइड्रोजन, न्यूट्रेस, सी डॉक्टर एंड कंपनी, प्रतिष्णा इंजीनियर्स और लिवहाय एनर्जी कंपनियां शामिल हैं.
14 कंपनियों ने 5.53 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता के उत्पादन के लिए अप्लाई किया है, जबकि 4.5 लाख टन क्षमता के लिए ही बोलियां आमंत्रित की गई थीं. इनमें टोरेंट पावर, रिलायंस ग्रीन हाइड्रोजन और भारत पेट्रोलियम जैसी कई दिग्गज कंपनियां शामिल हैं.