अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है, “चेम प्लूटो नाम के इस केमिकल टैंकर को ईरान से छोड़े गए ड्रोन ने एकतरफा निशाना बनाया था.”
19 दिसंबर को सऊदी अरब से चले इस जहाज़ को 25 दिसंबर तक भारत के न्यू मैंगलोर बंदरगाह तट पर पहुंचने की उम्मीद थी.
अमेरिकी सेट्रल कमांड ने शनिवार को कहा है कि एक अन्य घटना में लाल सागर के दक्षिणी हिस्से में हूती विद्रोहियों ने समुद्र में शिपिंग के रास्तों पर एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइलें दाग़ी हैं.
कमांड का कहना है कि इसमें अब तक किसी जहाज़ के प्रभावित होने की ख़बर नहीं है.
सात अक्तूबर को इसराइल पर हुए हमास के हमले और उसके बाद शुरू हुई इसराइल की जबाबी कार्रवाई के बाद से इस पूरे इल़ाके में तनाव बढ़ गया है.
ईरानी सरकार और यमन में उसके समर्थक खुले तौर पर ग़ज़ा पर इसराइल के हमले की आलोचना कर रहे हैं.
हाल के दिनों में यमन में मौजूद ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से होकर गुज़र रहे जहाज़ों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं. इस कारण कई जहाज़ों को अपना रास्ता बदलना पड़ा है.
अब तक हूती विद्रोहियों ने क़रीब 100 ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं, जिससे क़रीब 10 जहाज़ प्रभावित हुए हैं.
चेम प्लूटो पर हुए हमले को लेकर ईरान ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं दी है.
रॉयटर्स ने संयुक्त राष्ट्र पहुंचे ईरान के प्रतिनिधिमंडल से भी इस मामले में सवाल किए, अब तक उन्हें इस पर कोई टिप्पणी नहीं मिली है.
भारतीय कोस्टगार्ड ने क्या कहा?
भारतीय नौसेना ने चेम प्लूटो की मदद के लिए अपने जहाज़ और विमान भेजे हैं.
ताज़ा जानकारी के अनुसार बीती रात भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस मार्मागांव, चेम प्लूटो के पास पहुंचा है. नौसेना इस मामले की जांच कर रही है.
वहीं कोस्टगार्ड ने बताया है कि इस जहाज़ पर एक संदिग्ध ड्रोन से हमला होने की ख़बर मिली थी. हमले के कारण जहाज़ में आग लग गई थी जिसे चालकदल के सदस्यों ने बुझा दिया था.
कोस्टगार्ड ने कहा है कि चेम प्लूटो अब भारत की तरफ आ रहा है. सोमवार तक इसके मुंबई में पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है, जहां हमले के कारण हुई तकनीकी परेशानी का जायज़ा लिया जाएगा.
जहाज़ों की जगह को रीयल टाइम में दिखाने वाली वेबसाइट में देखने पर पता चला कि रविवार दोपहर के 1 बजे तक 30 मिनट तक ये जहाज़ मुंबई के क़रीब पहुंच गयाा है.
एक ब्रितानी मैरीटाइम सुरक्षा कंपनी (एमब्रे) ने कहा है कि चेम प्लूटो पर हुए हमले के बाद जहाज़ में आग लग गई, लेकिन घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है.
कंपनी का कहना है कि ये जहाज़ इसराइल एफिलिएटेड था. वहीं यूके मैरीटाइम ग्रेड ऑपरेशन्स के मुताबिक़, ये जहाज़ सऊदी अरब से भारत आ रहा था.
पेंटागन के अनुसार हमले के वक्त आस-पास अमेरिकी नेवी का कोई जहाज़ इस इलाक़े में नहीं था. हमले के बाद भारतीय नौसेना के एक जहाज़ ने चेम प्लूटो की मदद की.
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, जहाज़ में 20 भारतीय नागरिक थे. हमले के कारण जहाज़ को मामूली नुक़सान पहुंचा है.
चेम प्लूटो पर हमला, अमेरिकी रक्षा विभाग क्या बोला?
जापान के स्वामित्व वाला चेम प्लूटो जहाज़ जिसे नीदरलैंड ऑपरेट करता है एक केमिकल टैंकर है. इस पर लाइबेरिया का झंडा लगा हुआ था.
शनिवार सवेरे स्थानीय समयानुसार 10 बजे के आसपास हिंद महासागर में भारतीय समुद्रतट से 200 नॉटिकल मील दूर (क़रीब 370 कलोमीटर) इसे ईरान से छोड़े गए ड्रोन ने एकतरफा निशाना बनाया है.
हमले के बाद जहाज़ पर आग लग गई जिस पर जल्द क़ाबू पा लिया गया. घटना में कोई हताहत नहीं है.
पेंटागन ने अपने बयान में कहा है कि 2021 के बाद से किसी कमर्शियल शिप पर ईरान की तरफ से ये सातवां हमला है.
ये पहली बार है जब इसराइल ग़ज़ा युद्ध शुरू होने के बाद से पेंटागन ने सीधे तौर पर ईरान को जहाज़ों को निशाना बनाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.
जहाज़ों पर हुए हमले के बारे में क्या पता है?
अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के रास्तों पर दो एंटी बैलिस्टिक मिसाइलें दाग़ी हैं.
सेंट्रल कमांड के अनुसार, ये मिसाइलें सना के स्थानीय समयानुसार दोपहर तीन से आठ बजे के बीच गिराई गईं.
जिस वक्त ये हुआ उस वक्त अमेरिका का जहाज़ लबून इस इलाक़े में गश्त लगा रहा था.
सेंट्रल कमांड के अनुसार लबून को लाल सागर में दो जहाज़ों पर हमले का ख़बर मिली थी, पहला नॉर्वे के स्वामित्व वाला एक जहाज़ जिस पर नॉर्वेजियवन झंडा लगा था (ब्लामानेन) और दूसरा गैबॉन के स्वामिस्त वाला क्रूड ऑयल टैंकर (साईबाबा) जिस पर भारत का झंडा लगा हुआ था.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के इस दावे को खारिज किया कि टैंकर पर भारत का झंडा लगा था.
उन्होंने बताया कि गैबॉन के जिस जहाज़ को हूती विद्रोहियों ने ड्रोन से निशाना बनाया था, उस पर भारतीय ध्वज नहीं लगा था.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इस जहाज़ पर चालक दल की टीम में 25 भारतीय मौजूद थे, जो अब सुरक्षित हैं.
सेंट्रल कमांड के दावे के अनुसार, नॉर्वे का जहाज़ ड्रोन हमले में हमले में बच गया और उसे किसी तरह का नुक़सान नहीं हुआ. लेकिन गैबॉन वाला जहाज़ साईबाबा हमले की ज़द में आया, हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं.
हमलों के बाद अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत को ‘संकट आने’ का कॉल भेजा गया जिसके बाद लबून मदद के लिए आया और उसने यमन में हूतियों के कब्ज़े वाले इलाक़े से दाग़े गए चार ड्रोन गिराए.
17 अक्टूबर के बाद हूती विद्रोही अब तक कुल 15 कारोबारी जहाजों पर हमले कर चुके हैं.
ईरान पर आरोप
यमन के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने वाले हूती विद्रोही दावा करते हैं कि वो इसराइल से जुड़े जहाज़ों को निशाना बना रहे हैं.
लाल सागर में बढ़ रहे हमलों के ख़तरे के बीच कई बड़े शिपिंग समूहों ने इस रास्ते होने वाली आवाजाही को अस्थायी तौर पर रोक दिया है.
इससे पहले शनिवार को अमेरिका ने ईरान पर लाल सागर में कमर्शियल जहाज़ों पर हमले करने की योजना में “शामिल होने” का आरोप लगाया था.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता ने कहा था, “ये इस इलाक़े में हूतियों की अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों के लिए ईरान के लंबे समय से चीज़ें मुहैया कराने और और प्रोत्साहन के अनुरूप है.”
हालांकि लाल सागर में हुए हमलों के बारे में अली बघेरी ने कहा कि हूती विद्रोही अपने फ़ैसले खुद ले रहे हैं, इसमें ईरान का कोई हाथ नहीं है.
उन्होंने कहा कि ईरान राजनीतिक तौर पर हूती का समर्थन करता है, लेकिन वो उसे हथियार या किसी तरह की मदद नहीं देता.
इसके बाद ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर ने चेतावनी दी, ”अगर अमेरिका और उसके सहयोगी ग़ज़ा में अपराध करना जारी रखते हैं तो वह लाल सागर के अलावा समुद्र के दूसरे रास्तो को बंद करने के लिए मजबूर होंगे.”
ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रेज़ा नक़दी ने कहा कि इनमें भूमध्य सागर और जिब्राल्टर की खाड़ी शामिल हो सकते हैं, हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वो क्या और कैसे करने वाले हैं.