केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो दिवसीय कोलकाता दौरे के जरिए भाजपा ने राज्य की 42 में से 35 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ अपने मिशन बंगाल का आगाज़ कर दिया है.
वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति में भी व्यापक बदलाव किया है.
इसके तहत उसने महज स्थानीय नेताओं पर भरोसा करने के बजाय चुनाव प्रबंधन करने वाली एक पेशेवर संस्था जार्विस टेक्नालाजी एंड कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड की भी सेवा ली है.
साथ ही एक 15-सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का भी गठन किया गया है.
शाह का महीने भर के भीतर यह दूसरा कोलकाता दौरा था. इस दौरान पार्टी के ख़िलाफ़ लगातार बग़ावती सुर अपनाने वाले पूर्व सांसद अनुपम हाजरा को भी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के पद से हटा दिया गया है.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पिछली बार 2021 के विधानसभा चुनाव में स्थानीय नेताओं की ओर से मिले तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर केंद्रीय नेताओं ने अबकी बार 200 पार का नारा दिया था. लेकिन वह तीन अंकों का आंकड़ा भी नहीं छू सकी थी.
बाद में हार की वजहों की पड़ताल के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि स्थानीय नेताओं की ओर से मिले तथ्य हकीकत से काफी दूर थे. इसलिए केंद्रीय नेतृत्व इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता.
कितनी बड़ी चुनौती
यहां प्रदेश के आला नेताओं के साथ बैठक के दौरान एक 15 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. लोकसभा चुनाव में चुनाव अभियान को अंतिम रूप देने में समिति की भूमिका अहम होगी.
एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि फिलहाल समिति का पहला काम तमाम सीटों पर संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को सौंपना है.
शाह और नड्डा ने संभावित उम्मीदवारों के लिए सेलिब्रिटी के अलावा राजनीति के मशहूर चेहरों की तलाश करने को कहा है.
इस नेता का कहना था कि बैठक में शाह और नड्डा ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार की हैट्रिक के लिए बंगाल की 42 में से 35 सीटों पर जीत ज़रूरी है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पत्रकारों से कहा, “शाह और नड्डा की मौजूदगी में होने वाली बैठक लोकसभा चुनाव की हमारी रणनीति का हिस्सा है. इसमें चुनावी तैयारियों और रणनीति के बारे में विस्तार से चर्चा की गई. हम उसी आधार पर आगे की तैयारी में जुट जाएंगे.”
केंद्रीय नेताओं ने बैठक के दौरान स्थानीय नेताओं को राज्य भर में सोशल मीडिया के जरिए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान शुरू करने को कहा है.
इनमें राम मंदिर, नागरिकता कानून (सीए), केंद्रीय योजनाओं और तृणमूल कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार जैसे मुद्दो को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है.
पार्टी के एक नेता बताते हैं कि शाह और नड्डा ने पिछले विधानसभा चुनाव की कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने पर जोर दिया. इसी कवायद के तहत बग़ावती रवैया अपनाने वाले पूर्व सांसद अनुपम हाजरा को राष्ट्रीय सचिव के पद से हटा दिया गया है.
वे लगातार पार्टी-विरोधी बयान दे रहे थे. इसके जरिए दूसरी असंतुष्ट नेताओं को भी कड़ा संदेश दिया गया है.
अनुपम हाजरा के बग़ावती सुर
हाजरा लगातार प्रदेश नेतृत्व पर हमले कर रहे थे और कुछ गिने-चुने नेताओं पर मनमाने तरीके से पार्टी चलाने का आरोप लगा रहे थे.
हाजरा ने हाल में आरोप लगाया था कि ‘उनको पार्टी के किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता.’
एक अन्य बयान में उन्होंने कहा था कि ‘प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार 20 लोगों के साथ घूमते हैं. इनमें से 18 तो उनके सुरक्षाकर्मी ही हैं.’
इससे पहले केंद्र ने हाजरा को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा इसी महीने की पांच तारीख को वापस ले ली थी.
हालांकि सांगठनिक पद से हटाए जाने के कुछ देर बाद ही अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में अनुपम ने दावा किया कि पार्टी ने उनको राष्ट्रीय सचिव के पद पर बहाल करने का भरोसा दिया है. लेकिन उसके लिए कुछ शर्तें माननी होंगी.
बीजेपी की रणनीति और तृणमूल का दावा
राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं, “भाजपा अबकी तृणमूल से मुकाबले के लिए उसी के हथियार का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन इसका कितना फ़ायदा होगा, यह तो वक़्त ही बताएगा.”
तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की आईपैक की सेवा ली थी.
लेकिन तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष कहते हैं, “भाजपा चाहे कुछ भी कर ले, बंगाल की जनता का भरोसा तो दीदी और तृणमूल कांग्रेस पर ही कायम रहेगा. बीते विधानसभा चुनाव में यह बात साबित हो चुकी है.”