किसानों के आने से पहले ही दिल्ली सील, बैरिकेडिंग से लोग परेशान,

 

 

दिल्ली से गाजियाबाद या गाजियाबाद से दिल्ली की ओर जाने वाले मुख्य रास्ते एनएच-24 के यूपी गेट फ्लाईओवर पर अभी आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। लेकिन बैरिकेडिंग के कारण ट्रैफिक बहुत धीमा चल रहा है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

 

 

यूपी गेट पर ही फ्लाईओवर के नीचे दिल्ली से गाजियाबाद और गाजियाबाद से दिल्ली की ओर जाने वाले रास्तों पर तीन से पांच फीट ऊंची बैरिकेडिंग-कांटों की बाड़ लगा दी गई है। इससे गाजीपुर फल-सब्जी मंडी से आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गाजीपुर सब्जी मंडी से गाजियाबाद जाने के लिए वैशाली-इंदिरापुरम से अंदर के रास्ते जाने दिया जा रहा है, लेकिन इस मार्ग पर वाहनों की बहुत कम क्षमता के कारण भारी जाम लग गया है।

 

वहीं, गाजियाबाद से दिल्ली की ओर जाने के लिए फ्लाईओवर के नीचे का मार्ग बंद किए जाने से लोगों को मयूर विहार-खोड़ा के रास्ते से होकर जाना पड़ रहा है। इससे इस रास्ते पर भी भारी जाम लग गया है। लोगों को तीन किलोमीटर के करीब अतिरिक्त जाना पड़ रहा है।

 

 

पूर्वी दिल्ली रेंज के पुलिस अधिकारी सागर सिंह कलसी ने अमर उजाला को बताया कि उनकी कोशिश है कि लोगों को आवागमन में कम से कम परेशानी हो। पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग थानों से लगभग चार हजार पुलिस कर्मियों को ट्रैफिक-सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। इसके अलावा अर्धसैनिक बलों के जवान भी सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। उनकी कोशिश रहेगी कि किसान दिल्ली में प्रवेश न कर सकें।

 

 

यूपी गेट पर किसानों के आने के पहले ही सुरक्षा और उन्हें रोकने की तैयारी पूरी है। यहां आंदोलन में किसी उपद्रवी व्यक्ति की पहचान करने के लिए ड्रोन कैमरों से नजर रखी जाएगी। शंभू बॉर्डर की तरह आंसू गैस के गोले फेंकने के लिए भी ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। पिछली बार आंदोलन के समय किसानों ने स्वयं ही यूपी गेट से आगे जाने का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया था। इस बार भी अभी तक इसके आगे जाने की किसी रणनीति की जानकारी नहीं है, लेकिन किसी गलतफहमी से बचने के लिए प्रशासन ने अपने स्तर पर तैयारियां कर रखी हैं।

 

मुकेश सिंह (46 वर्ष) ने अमर उजाला को बताया कि वे दिल्ली से एक मीटिंग के सिलसिले में वैशाली की ओर जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया है। लगभग दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिल पा रहा है। उनकी तरह हजारों की संख्या में लोगों को आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

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