पिता का सपना रहा अधूरा, बेटे ने किया पूरा; 12 की उम्र में तोड़ा सचिन का 21 साल पुराना रिकॉर्ड

 

 

 

यूपी के आजमगढ़ स्थित सगड़ी तहसील के बासूपार गांव निवासी कोच नौशाद खान कभी इंडियन टीम में शामिल होने का सपना संजोए थे। जब उन्हें यह सौभाग्य नहीं मिला तो उन्होंने अपने बेटों को अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर दिया। बड़े बेटे सरफराज ने जब टेस्ट टीम में पदार्पण किया और अनिल कुंबले ने टेस्ट कैप दी तो नौशाद की आंखों से आंसू टपक पड़े। आखिरकार उनके बेटे ने उनके सपने को पूरा कर दिया।

 

 

 

सरफराज खान, मुंबई के प्रतिभावान बच्चों की एक लंबी सूची का हिस्सा थे, जिन्होंने 17 साल की उम्र में लोगों को अपनी प्रतिभा से परिचय कराया। नवीन बल्लेबाजी शैली के लिए जाने वाले सरफराज ने 2014 में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। 2014 और 2016 विश्व कप में खेलने वाली भारतीय अंडर-19 टीमों का हिस्सा थे। सरफराज ने पहली बार 2009 में अपने पहले हैरिस शील्ड मैच में शानदार 439 रन बनाकर दुनिया को चौंका दिया था।

 

महज 12 साल की उम्र में सरफराज ने 1988 से कायम सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके बाद सरफराज को मौका मिलने में ज्यादा समय नहीं लगा। मुंबई अंडर-19 टीम में और वहां उनके प्रदर्शन के कारण उन्हें भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली। मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते हुए सरफराज ने अंडर-19 विश्व कप में 70.75 की शानदार औसत से 566 रन बनाए। उनके पास अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक अर्द्धशतक का अनोखा रिकॉर्ड है, जिसमें उन्होंने दो संस्करणों में सात अर्द्धशतक लगाए हैं।

 

आईपीएल खेल में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के सरफराज खान को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने 2015 की नीलामी में शामिल किया था। उन्होंने 21 राजस्थान रॉयल्स की ओर से 45 रनों की नाबाद पारी खेलकर प्रसिद्धि हासिल की। 2016 में फिटनेस की कमी के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। अगले वर्ष, पैर में चोट लगने के कारण वह आईपीएल से चूक गए। 2018 में सरफराज का प्रदर्शन काफी खराब था और इसके कारण आरसीबी प्रबंधन को 2019 सीज़न से पहले उन्हें रिलीज़ करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

 

 

इसके बाद वह किंग्स इलेवन पंजाब और दिल्ली कैपिटल से जुड़े। सरफराज ने रणजी मैचों में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया के दरवाजे पर दस्तक दी। लेकिन यह मौका उन्हें देर से मिला। जब यह मौका उन्हें मिला तो उन्होंने दोनों हाथों से भुनाते हुए पहले ही टेस्ट मैच में अर्द्धशश्तक जड़ दिया।
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