अजय कपूर के बाद प्रत्याशी पर असमंजस कांग्रेस में कैंडिडेट घोषित न होने से बढ़ी बेचैनी

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कानपुर-  अजय कपूर ने कांग्रेस का साथ क्या छोड़ा। पार्टी पूरी तरह बिखर सी गई है। हालांकि पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि उनके जाने से कांग्रेस और मजबूत हुई है। कांग्रेस पैनल से कानपुर से तीन नाम भेजे गए थे।वहीं पार्टी अब इन दो नामों पर ही विचार कर रही है। इसमें किसी एक प्रत्याशी पर मुहर लग सकती है।कानपुर सीट पर किसी भी प्रत्याशी ने अभी तक नामों की घोषणा नहीं की है, ऐसे में पार्टियों में बेचैनी बढ़ने लगी है।प्रत्याशी घोषित न होने से भाजपा खेमे में भी बेचैनी बढ़ने लगी है। अजय कपूर के भाजपा में शामिल होने के बाद समीकरण बिगड़ने लगे हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक अजय कपूर टिकट की दौड़ में नहीं है। बल्कि पार्टी उन्हें एमएलसी बना सकती है। वहीं मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी, मालिनी अवस्थी, दिनेश शर्मा को भी मैदान में उतारने पर विचार कर सकती है।प्रदेश चयन समिति की ओर से तीन नेताओं के नाम पार्टी केंद्रीय इकाई को भेजे गए थे, जिसमें अजय कपूर, आलोक मिश्रा और पवन गुप्ता का नाम शामिल था। अब सिर्फ दो चेहरे ही रह गए हैं। दोनों ही लोकसभा चुनाव के लिए नए हैं। कांग्रेस में महानगर सीट से प्रत्याशी की घोषणा जल्द ही कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक अगले एक या दो दिन में प्रत्याशी घोषित करने के लिए फाइनल सूची तैयार की जाएगी। इसमें किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है।कानपुर से कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे श्रीप्रकाश वैश्य बिरादरी से आते थे। जो महानगर सीट से वर्ष 1999 से लेकर 2009 के बीच तीन बार लगातार सांसद चुने गए। दो बार केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे।इसी तरह ब्राह्मण बिरादरी की बात करें तो कांग्रेस से हरिहरनाथ शास्त्री, शिवनारायण टंडन व नरेश चंद्र चतुर्वेदी इसी सीट से सांसद चुने गए हैं। भाजपा की बात करें तो इस सीट से सत्यदेव पचौरी, मुरली मनोहर जोशी और जगतवीर सिंह द्रोण भी ब्राह्मण मतदाताओं के बल पर भी चुनाव जीतकर आए हैं।जिन तीन नामों का पैनल पार्टी ने तैयार किया था, उनमें से आलोक मिश्रा दो बार विधानसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। उनकी पत्नी वंदना मेयर का चुनाव लड़ी, लेकिन जीत नहीं सकीं। पवन गुप्ता 1998 में बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े और चौथे स्थान पर रहे। इसके बाद एक बार विधानसभा और फिर मेयर का चुनाव लड़कर हार चुके हैं।सिर्फ अजय कपूर ही एक ऐसे नेता थे जो तीन बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वहीं पार्टी के आला नेताओं के पास कुछ युवा व संगठन से जुड़े नेताओं के नाम भी पहुंचे हैं। ऐसे में अब देखना यह होगा कि 18 को होने वाली सीईसी की बैठक में पार्टी किस चेहरे पर अपनी मुहर लगाती है।

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