नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट में आज पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़े भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई हुई। योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले में निष्क्रियता के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण की खिंचाई की। संस्था द्वारा पेश किए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल के आदेश के बाद ही कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए सक्रिय हो गया है।
10 अप्रैल को सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने निष्क्रियता के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई थी। कहा था कि वह इसे हल्के में नहीं लेगी, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता कि प्राधिकरण ने अपनी आंखें जानबूझकर बंद रखी हैं। पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर आप सहानुभूति और करुणा चाहते हैं तो अदालत के प्रति ईमानदार रहें। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता यह है कि क्या लाइसेंसिंग संस्था ने मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की है। पीठ ने मामले को 14 मई को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।