इलाहाबाद (Allahabad) बदलकर प्रयागराज (Prayagraj) बन गया है, लेकिन हाईकोर्ट का नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ही रहेगा। इसका नाम बदलने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने बताया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गत माह इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी दायर की गई, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद एक पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में भी आई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया था।सरकार 2016 में बंबई, मद्रास और कलकत्ता हाईकोर्ट का नाम बदलने के लिए एक बिल लाई थी, लेकिन संबंद्धित हाईकोर्ट और राज्यों की आपत्तियों के बाद यह संसद में नहीं रखा जा सका। हाईकोर्ट का नाम बदलने के लिए राज्य का प्रस्ताव और उच्च न्यायालयों की संस्तुति आवश्यक है। बंबई का नाम 1995 में बदलकर मुंबई और मद्रास का 1996 में नाम बदलकर चेन्नई कर दिया गया। वहीं कलकत्ता का नाम 2001 में कोलकाता कर दिया गया था। इसके बाद इनके उच्च न्यायालयों का नाम बदलने का सरकार ने प्रयास किया था। इंग्लैंड की महारानी के लेटर पेटेंट पर स्थापित किए गए थे ये हाईकोर्ट
बंबई, कलकत्ता, मद्रास और इलाहाबाद हाईकोर्ट (1869) ब्रिटिश संसद द्वारा पारित इंडियन हाईकोर्ट ऐक्ट, 1861 के तहत इंग्लैंड की महारानी द्वारा जारी लेटर पेटेंट पर स्थापित किए गए थे। देश के आजादी हासिल करने के बाद भी ये हाईकोर्ट बने रहे और संविधान के अनुच्छेद 225 के तहत अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दिसंबर, 2016 में कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा था कि तमिलनाडु ने मद्रास हाईकोर्ट का नाम बदलकर हाईकोर्ट ऑफ तमिलनाडु करने का प्रस्ताव किया था, जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट नाम बदलने के लिए राजी नहीं हुआ। इसके बाद केंद्र सरकार को संशोधित बिल पेश करना करना था, जिसके लिए उसने राज्य सरकारों तथा हाईकोर्ट से राय मांगी थी। मंत्री ने कहा था कि नया बिल कब बनाया जाएगा और कब संसद में पेश किया जाएगा, इसकी कोई समय सीमा नहीं है।