विपक्षी पार्टियां भाजपा के बारे में तो बता रही हैं कि उन्हें बहुमत से कम सीटें मिलेंगी, लेकिन उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी, वे यह नहीं बता पा रहीं। चुनाव के दौरान पक्ष और विपक्ष द्वारा विजय एवं सीटों के आंकड़ों को लेकर अपने-अपने दावे करना अस्वाभाविक नहीं है। ऐसा ही इस चुनाव के दौरान भी हो रहा है। अब जबकि मतदान धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है, हमारे सामने अलग-अलग दावे आ गए हैं। मसलन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन को 79 सीटें प्राप्त हो रही हैं। राहुल गांधी कह रहे हैं कि चार जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे और भाजपा की सीटें डेढ़ सौ तक सिमट जाएंगी। ममता बनर्जी ने भाजपा को 200 से 220 सीटों तक सिमटा दिया है। अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि भाजपा की सीटें उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड सब जगह घट रही हैं। क्या वाकई अब तक के मतदान, माहौल, आदि को आधार बनाकर ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है?