सीडीओ की अध्यक्षता में जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना की बैठक सम्पन्न

फतेहपुर। जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना की जिला स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन 29 मई 2024, को आकांक्षी जनपद में मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना के नेतृत्व में नीति आयोग की परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस की त्रैमासिक समीक्षा बैठक का आयोजन विकास भवन सभागार में किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य परियोजना के अंतर्गत हुई कार्य प्रगति की समीक्षा, प्रारंभिक बाल्य विकास एवं सीखने के अवसरों को विकसित करने के लिए आवश्यक उच्च प्राथमिकता संकेतकों की पहचान, आँगनबाड़ी केंद्रों में संवेदी कोनो की स्थापना, परियोजना के विस्तारीकरण हेतु हाई टच केंद्रों से प्राप्त परिणामों के आधार पर आगामी प्रशिक्षण की रणनीतियों का निर्माण, आँगनबाड़ी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बाल संवेदनशील स्थानों के निर्माण पर तकनिकी चर्चा आदि था। इस समीक्षा बैठक की शुरुवात विक्रमशिला एज्युकेशन रिसोर्स सोसाइटी की निदेशक शुभ्रा चटर्जी के स्वागत भाषण के साथ हुई, तत्पश्चात परियोजना के जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग द्वारा समस्त परियोजना टीम के सदस्यों एवं शासकीय अधिकारीयों का परिचय कराया गया। मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना की अनुमति से वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक नम्रता रावत द्वारा परियोजना की सम्पूर्ण पृष्ठ्भूमि के बारे में बताया गया की प्रारंभिक वर्ष बाल्य विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमे मस्तिष्क विकास के लिए उचित देखभाल और संवेदनशील परवरिश के पहले 1हजार दिन जोकि गर्भधारण से लेकर दो वर्ष की आयु तक है। इस अवधि के दौरान गुणवत्तापूर्ण देखभाल और शिक्षा, आजीवन दीर्घकालिक परिणाम देती है। इसके पश्चात परियोजना की राज्य प्रमुख साक्षी पवार द्वारा कार्यक्रम की आगामी तीन माह की कार्य योजना बताई गई। समीक्षा के दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी हसवा अरविंद कुमार द्वारा ग्राम सीतापुर हाई टच आँगनबाड़ी केंद्र के किये गए निरिक्षण के दौरान आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों के प्राप्त प्रशिक्षण उपरांत दी जारही सेवाओं के बारे में बताया। मुख्य विकास अधिकारी के आग्रह से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. इस्तियाक अहमद के द्वारा जीवन के प्रथम 1 हजार दिनों में संवेदनशील परवरिश के माध्यम से गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की उम्र में होने वाले मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास के बारे में समझाया गया। उन्होंने न्यूरॉन्स के बनने व जुड़ने की प्रक्रिया को बड़े ही सरल तरीके से समझाया व कहा की घर के वातावरण, गर्भावस्था के दौरान परिवार का जुड़ाव व बच्चे के जन्म के पश्चात उसके आसपास घट रही घटनाएं, संगीत के साथ-साथ संवेदनशील गतिविधियों को सेंसरी कोनो की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक के दौरान चिकित्सा महाविद्यालय के सहायक व्याख्याता डा. दीपक संखवार द्वारा बताया गया की प्रारंभिक बाल्यावस्था में जो बच्चों के विकास में देरी होती है, उसमें संवेदी उद्दीपन ही उसका मूल उपचार है। इस दौरान चिकित्सकीय जटिलताओं को तो चिकित्सकों के परामर्श एवं इलाज से दूर किया जा सकता है लेकिन बच्चों का सर्वांगीण विकास प्रारम्भिक उद्दीपन से ही संभव है, जोकि इस परियोजना के द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है । वैन लीर फाउंडेशन के प्रतिनिधि प्रकाश पॉल ने आँगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्रों में बाल संवेदनशील स्थानों के निर्माण के बारें में बताते हुए कहा कि पर्यावरण व स्थानीय वस्तुओं का प्रयोग कर बच्चों व समुदाय के लिए एक बाल सवेंदनशील स्थान बनाया जा सकता है। इस बैठक में उपायुक्त मनरेगा फतेहपुर अशोक कुमार गुप्ता, जिला विकास अधिकारी प्रमोद सिंह चंद्रौल, जिला पंचायत राज अधिकारी उपेन्द्र राज सिंह, अतिरिक्त जिला पंचायत राज अधिकारी राम शंकर, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी नीति त्रिपाठी, जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव, खंड विकास अधिकारी विकास खंड तेलियानी राहुल मिश्रा, बाल विकास परियोजना अधिकारी तेलियानी कन्हैयालाल, बाल विकास परियोजना अधिकारी शहरी रवि शास्त्री, डी.सी.पी.एम. धीरेन्द्र कुमार वर्मा, जिला मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य परामर्शदाता आलोक कुमार, परियोजना टीम आर्यन कुशवाहा, सोनल रूबी राय, अनामिका पाण्डेय, प्रशांत पंकज, अंजली, स्मृतिश्री आदि ने सक्रीय रूप से प्रतिभाग किया। बैठक के अंत में मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना ने परियोजना की सराहना करते हुए अधिकारीयों को निर्देशित किया की परियोजना की नियमित समीक्षा हेतु जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक एवं जिला पोषण समिति की बैठक में इस परियोजना सम्बंधित प्रगति एवं चुनौतियों को महत्वपूर्ण विषय के रूप में शामिल किया जावे, साथ ही जिला स्तरीय प्रशिक्षणों में सम्बंधित विभागों के अधिकारीयों के साथ बाल्य विकास विशषज्ञों को भी शामिल करने का निर्देश दिया।

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