क्षत्रिय समाज का वोट ले डूब भाजपा की मुज़फ्फरनगर कैराना सहारनपुर सीट

सहारनपुर। भारत देश के आम चुनाव में इस बार अकेली भाजपा को बहुमत नही मिला और वो सरकार बनाने के लिए अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर रही है,उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा की कमर तोड़ दी,और 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटे गठबंधन ने जीती जिसमे मुज़फ्फरनगर कैराना सहारनपुर लोकसभा भी शामिल है,गौर करने वाली बात यह है कि पहले चरण के मतदान से पहले यह कहना मजाक लग रहा था कि इस बार गठबंधन की सरकार आ रही है,इस बात पर सामने वाला हंसी उड़ाते हुए कहता था कि सम्भव नही है,इन तीनो जनपद में मतदाता असमंजस की स्तिथी में था मगर खुल सामने नही आ रहे थे,मुस्लिम समाज रमज़ान के महीने के चलते घरो में रहकर इबादत कर रहे थे,कियोंकि उनको भी यह ज्ञान था कि जब तक मुस्लिम समाज हिन्दू समाज एक साथ खड़ा नही होगा तब तक चुनावी परिणाम प्रभवित नही होंगे,ऐसे में एक आवाज़ उठी क्षत्रिय समाज की और वो आवाज़ थी मुज़फ्फरनगर के रहने वाले किसान संगठन के राष्ट्रिय अध्यक्ष ठाकुर पूरण सिंह की,इस आवाज़ में बगावत थी सरकार के खिलाफ लामबंद होने की,क्योंकि क्षत्रिय समाज हमेशा सरकार में रहना पसंद करता है और यही क्षत्रिय समाज के पूर्वजो का इतिहास रहा है,भाजपा शीर्ष नेताओ द्वारा क्षत्रिय समाज के नेताओ का बड़ी संख्या में टिकेट काटे जाना,पूर्वजो पर आपत्तिजनक बयान देना क्षत्रिय समाज सहन नही कर पाया और बगावत की हुंकार ठाकुर पूरण की उठी,इस आवाज़ ने नानौता में 7 मार्च को हजारो की संख्या में,क्षत्रिय समाज ने अन्य राज्यों सहित बिजनौर,गाजियाबाद,नोयडा,मेरठ,मुज़फ्फरनगर,बागपत,शामली,सहारनपुर,हापुड,आदि से जमा होकर क्षत्रिय समाज की महासभा की और भाजपा को हराने की हुंकार भरी,इस हुंकार का सीधा फायदा पहले चरण के मतदान में साफ़ दिखा और भाजपा को हराने के लिए क्षत्रिय समाज का वोट गठबंधन को गया,जिसके परिणाम स्वरूप 4 जून को पहली बार मुज़फ्फरनगर की लोकसभा से सपा के सिम्बल पर चुनाव लडे हरेंदर मलिक दो बार के सांसद डॉ संजीव बालियान को हराने में कामयाब रहे,दूसरी और सपा से अपना पहला चुनाव लड़ीं इकरा हसन अपने स्वर्गीय पिता मुनव्वर हसन और मां पूर्व सांसद तबस्सुम हसन,सपा से विधायक भाई नाहिद हसन से सियासत का सबक लेकर मैदान में उतरी इकरा हसन भाजपा के सांसद रहे प्रदीप चौधरी को हारने में कामयाब रही,तीसरी और 17 साल सत्ता से दूर रह कर लगातार एक के बाद एक चुनाव हार कर, सपा बसपा में अन्दर बहार हो कर,जनता के बीच अपमान झेल रहे इमरान मसूद और बहुत सारी आलोचनाओ का सामना भी कर रहे थे,इमरान मसूद ने इन सब से निकल कर हिम्मत और साहस के साथ मैदान में उतरे,इमरान मसूद ने कांग्रेस से टिकेट लिया और चुनाव लडते हुए पूर्व भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा को हराकर बड़ी जीत हासिल की,अब इन तीनो प्रत्याशियों की जीत का जो मुख्य कारण है वो है,क्षत्रिय समाज का भाजपा के खिलाफ वोट करना,अगर क्षत्रिय समाज भाजपा के खिलाफ खड़ा न होता तो शायद परिणाम कुछ और ही होते,क्योकि जीत का मार्जन यह बताता है कि गठबंधन को मिला वोट अकेले मुस्लिम समाज का ही नही साथ में क्षत्रिय समाज दलित समाज अन्य हिन्दू समाज सहित अति पिछडो का भी है

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