मुंबई– बीएमसी ने पहले कहा था कि पवई और मौजे तिरंदाज गांव में अस्थायी झोपड़ियां बनी थीं और राज्य मानवाधिकार आयोग ने नागरिक निकाय को इन अस्थायी झोपड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। एक अधिकारी ने बताया कि नागरिक अतिक्रमण विरोधी टीम की सुरक्षा के लिए पुलिस की एक टीम को भी भेजा गया था। पुलिसकर्मियों को देखकर पिछले 25 वर्षों से वहां रह रहे स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस प्रदर्शन के बीच पथराव भी हुए जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
पथराव की घटना का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसमें पुरुषों और महिलाओं का एक समूह पुलिस और बीएमसी कर्मचारियों पर पथराव करते हुए दिख रहे थे। इसमें यह भी दिखाया गया था कि पुलिसकर्मी पत्थरों से खुद को बचाने के लिए भागने की कोशिश कर रहे हैं।
पथराव में कम से कम 15 पुलिसकर्मी, पांच इंजीनियर और उतने ही संख्या में श्रमिक घायल हुए । शुक्रवार को एक अधिकारी ने कहा, “पुलिस और बीएमसी अधिकारियों पर पथराव के सिलसिले में लोक सेवकों को काम में बाधा डालने और दंगा करने के आरोप में पुलिस ने 200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनमें से 57 को पकड़ लिया गया है। उन्हें फिलहाल न्यायिक हिरासत में रखा गया है।”