कानपुर में मदरसे की छात्रा से दुष्कर्म करने वाले मौलाना को अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सुरेंद्र पाल सिंह ने दस साल कैद और 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने से 50 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। नौबस्ता क्षेत्र की 15 वर्षीय किशोरी मदरसा गुलशन-ए-फातिमा में पढ़ती थी। गर्मी की छुट्टी के दौरान नौ जून 2019 की सुबह मदरसे के मौलाना जावेद कारी ने किशोरी को फार्म भरने के बहाने बुलाया। उसके न जाने पर खुद घर पहुंचकर उसे मदरसे ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बेहोश हो जाने पर उसे होश में लाकर दोबारा दुष्कर्म किया।
इसके बाद उसे किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया। पीड़िता ने मदरसे में पढ़ाने वाली जावेद की मामी आबदा इस्लाम व उसकी बेटी शीबा से शिकायत की, तो उन लोगों ने भी धमकाया। इस पर पीड़िता ने मौलाना जावेद कारी, आबदा और शीबा के खिलाफ नौबस्ता थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा ने बताया कि अभियोजन की ओर से पीड़िता व उसकी मां समेत सात गवाह कोर्ट में पेश किए गए। पीड़िता व उसकी मां ने बयान में तो घटना का जिक्र किया था, लेकिन जिरह में मुकर गईं। हालांकि कोर्ट ने परिस्थितिजन्य सबूतों और अन्य गवाहों के आधार पर जावेद को सजा सुनाई।
सबूतों के अभाव में आबदा और शीबा को बरी कर दिया। सजा पर सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा ने तर्क रखा कि मौलाना ने गुरु-शिष्या के संबंध को कलंकित किया है। जो समाज के प्रति गंभीर अपराध है। इसलिए अधिकतम सजा दी जाए, जिससे समाज में अच्छा संदेश जाए। पीड़िता ने कोर्ट में बयान में कहा था कि जावेद पहले भी कई लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था। डेढ़ साल पहले भी एक लड़की से दुष्कर्म किया था, लेकिन उसके घरवालों को रुपयों का लालच देकर चुप करा दिया था। इस पर दुखी पीड़िता ने छत से कूदकर जान देने की कोशिश की थी। उसे लालच देने की कोशिश की थी, लेकिन किसी और के साथ ऐसा न हो इसलिए ऐसा कदम उठाया।