सवर्णों को 10% आरक्षण बिल बना कानून, आरक्षण दिए जाने वाले बिल पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर

आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों (Economic backwad upper caste) को दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने मुहर लगा दी। जिसके बाद अब ये बिल कानून बन गया। इससे पहले, लोकसभा (Lok Sabha) के बाद राज्यसभा (Rajya Sabha) ने भी गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी।यह विधेयक संघीय ढांचे में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करता, इसलिए इसे राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी की जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह बिल कानून का रूप ले लिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल पास होने के बाद ट्वीट कर इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक न्याय की जीत है। संविधान संशोधनको मंजूरी के बाद राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। यह संभवत: पहला मौका है जब किसी संविधान संशोधन विधेयक को दो दिन में संसद के दोनों सदनों में पारित कराया गया हो।सदन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इससे सभी उच्च जातियों और सभी धर्मों के गरीब लोगों को रोजगार और शिक्षा में लाभ मिलेगा।अधिसूचना जारी होने के बाद यह कानून केंद्र सरकार की नौकरियों एवं केंद्रीय संस्थानों में होने वाले एडमिशन में मान्य होगा।

-जिन भी नौकरियों के विज्ञापन निकलेंगे, उनमें 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण दिया जाएगा।

-इसी प्रकार जेईई, नीट, सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं में भी यह आरक्षण लागू किया जाएगा।

राज्य सेवाओं में नहीं

दस फीसदी सवर्ण आरक्षण अभी राज्य सेवाओं पर लागू नहीं होगा। राज्य सरकारें चाहें तो इसी प्रकार का कानून बनाकर अपनी राज्य सेवाओं के लिए भी इस प्रकार का प्रावधान तैयार कर सकती हैं।

निजी संस्थानों पर लागू

जो निजी संस्थान केंद्रीय शिक्षण संस्थानों से संबद्ध हैं, यूजीसी या केंद्र से सहायता लेते हैं, या उनके कानूनों से संचालित होते हैं,वहां भी आरक्षण लागू होगा

सेलेक्ट कमेटी में नहीं भेजा

राज्यसभा में चर्चा के दौरान कई दलों ने जल्दी विधेयक पेश करने पर सवाल उठाए। द्रमुक सांसद कनिमोई ने इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए प्रस्ताव दिया। लेकिन, उनका यह संशोधन प्रस्ताव 155 मतों से खारिज हो गया।

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