फतेहपुर। हरगोविंद साहिब जी का 429वां प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारे में शनिवार को गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा मे कीर्तन- सबद ,अरदास के साथ लंगर का आयोजन किया। भक्तों ने गुरुद्वारा पहुँच कीर्तन सबद में भाग लिया इसके बाद लंगर ग्रहण किया। इस मौके पर ज्ञानी गुरुवचन सिंह ने गुरु हर गोविंद साहिब जी के इतिहास के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया सिक्ख इतिहास में पाचवे गुरु गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब जी की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई। गुरु हरगोविंद साहिब जी का जन्म 22 जून 1595 में गुरु की वडाली अमृतसर पंजाब में हुआ था। गुरु हरगोबिन्द साहिब ने शस्त्र एवं शास्त्र की शिक्षा भी ग्रहण की। गुरु साहिब एक कुशल महान योद्धा भी थे। विभिन्न प्रकार के शस्त्र चलाने का उन्हें अद्भुत अभ्यास था। गुरु हर गोबिन्द साहिब का चिन्तन भी क्रान्तिकारी था। वह चाहते थे कि सिख कौम शान्ति, भक्ति एवं धर्म के साथ-साथ अत्याचार एवं जुल्म का मुकाबला करने के लिए भी सशक्त बने। वह अध्यात्म चिन्तन को दर्शन की नई भंगिमाओं से जोडना चाहते थे। गुरु-गद्दी संभालते ही उन्होंने मीरी एवं पीरी की दो तलवारें ग्रहण की। मीरी और पीरी की दोनों तलवारें उन्हें बाबा बुड्डा जी ने पहनाई। यहीं से सिख इतिहास एक नया मोड लेता है। गुरु हरगोबिन्द साहिब मीरी-पीरी के संकल्प के साथ सिख-दर्शन की चेतना को नए अध्यात्म दर्शन के साथ जोड देते हैं। इस प्रक्रिया में सभी धर्म एक दूसरे के पूरक बने। कार्यक्रम गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के प्रधान सेवक चरनजीत सिंह की अगुवाई में मनाया गया। इस अवसर पर जतिन्दर पाल सिंह, परमजीत सिंह, हरमंगल सिंह, वरिंदर सिंह पवि, जसवीर सिंह, सुरिंदर सिंह, गुरमीत सिंह, परमिंदर सिंह, नरेंद्र सिंह रिंकू महिलाओं में मंजीत कौर, हरविंदर कौर, सतबीर कौर, परमीत कौर, सतनाम कौर, वरिंदर कौर, नीना, खुशी, वीर सिंह उपस्थित रहे।