आज हमारा इमाम जुदा हो गया की सदाओं के बीच किया मातम

 

-छूरी व जंजीर का मातम देख भीड़ ने दांतो तले दबा ली उंगली
-शिया समुदाय का ताजिया व अलम जुलूस कर्बला पहुंचकर समाप्त

फतेहपुर। दसवीं मोहर्रम पर शिया समुदाय के ताजिये व अलम का जुलूस शहर के कजियाना मुहल्ला स्थित मस्जिद के पास से उठा। जुलूस में नौहा ख्वानी के बीच जंजीर व हाथ का मातम किया गया। जुलूस में ही छोटे से बड़े उम्र के नवजवानों ने शहीदाने कर्बला की याद में छूरी कमा का मातम किया। सिर पर छुरी का मातम देख भीड़ ने दांतों तले उंगली दबा ली, जबकि मातम करने वाले खून से नहा गए। हुसैनी सदाओं फात्मा के दिल का चैन हमसे जफा हो गया, आज हमारा इमाम हमसे जुदा हो गया के बीच शिया समुदाय के ताजिये व अलमों के फूल नम अंखों से कर्बला में दफन कर दिए गए। देर शाम शामे गरीबां की मजलिश में भी हुसैन व उनके खानदान की शहादत पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। शिया समुदाय की मजलिसों के बाद साढ़े ग्यारह बजे दो ताजिये व तेरह अलम कजियाना मुहल्ले से उठाए गए, जो मातमी जुलूस के रूप में लाला बाजार-पीलू तले रोड पर आए, तत्पश्चात मदन की चक्की के निकट अंजुमन अब्बासिया व अंजुमन जाफरिया के दस्तों ने नौहा ख्वानी की। नौहा ख्वानी के बीच दस से बीस वर्ष आयु के युवाओं ने सिर पर छूरी का मातम कर अपने को लहूलुहान कर लिया। कुछ देर के लिए सड़क का कुछ हिस्सा लाल हो गया लेकिन मातम करने वालों के चेहरों पर शिकम तक नहीं आई। जुलूस में हजारों की भीड़ उमड़ी। आसपास के मकानों व दुकानों की छतें ठसाठस भरी रहीं। जुलूस मदन चक्की वाले के सामने वाली ढाल में होता हुआ महाजरी, सैय्यदवाड़ा, खेलदार, इमिलिया बाग होकर कर्बला पहुंचा। जहां पर नाम आंखों से ताजिए व अलम के फूल कर्बला में दफन कर दिए। जुलूस में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के जवान तैनात रहे। जुलूस की सम्माप्ति पर प्रशासन ने राहत की सांस ली।

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