गरीबी में जीना मरने के बराबर, न पैसा है न कोई उम्मीद, एक पीड़ित परिवार जीते जी मर रहा

 

ब्यूरो मुन्ना बक्श न्यूज़ वाणी कमासिन ,बांदा। कहते हैं गरीबी किसी को देखकर नही आती, वो तो बस इंसान के बिगड़े हालात और बदनसीबी के चलते अपने आप आ जाती है। वैसे तो गरीबी हालत में कई लोग अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं लेकिन कुछ तो ऐसे हैं जो जीते जी भी सुकून से नहीं जी पा रहे। ऐसा ही गरीबी से जुड़ा एक मामला बांदा जनपद से सामने आया है आइए जानते है कि गरीबी में जी रहा ये परिवार अपने दिन रात कैसे गुजार रहा है।

आपको बता दे कि यह पूरा मामला विकास खंड कमासिन क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बीरा का है जहां के रहने वाले सुनील कुमार और उनकी पत्नी ननकीवा अपने बेटे के सहारे जी रहे हैं, वहीं घर की हालत की बात करें तो घर की हालत ऐसी है जोकि शायद एक गरीब ही समझ सकता है।

सुनील कुमार जिनको लगभग डेढ़ साल पहले लकवा लग गया जिससे वो चलने फिरने में असमर्थ हैं और उनकी इस हालत पर उनकी पत्नी ननकीवा उनका ध्यान रखती थी और दिनचर्या के कामों में मदद करती थी लेकिन शायद ही किस्मत को कुछ और ही मंजूर था कुछ समय से अब ननकीवा भी बीमार हो गई जिसका इलाज सरकारी अस्पताल में दर दर की ठोकरें खाते हुए उनके इकलौते बेटे अखिलेश ने इलाज कराने का भरसक प्रयास किया लेकिन पैसे की कमी और बुरे हालातो के चलते ये भी मुमकिन न हो सका और अभी भी बीमारी हालत में लिए हुए घर पर रहकर आस लगाए हैं जैसे कि कोई आएगा और उनकी सारी परेशानी खत्म कर देगा।

अखिलेश ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी मदद की जाए जिससे उसके पिता और बीमार मां का अच्छे से इलाज हो सके और वो सुकून से रह सके। अखिलेश ने बताया कि उसके पिता को लकवा लग गया है और उसकी मां भी बहुत बीमार है इसलिए मैं बाहर जाकर कुछ पैसे कमाऊ या घर पर रहकर मां और पिता का ख्याल रखूं। अब तो कुछ समझ नहीं आता , जाने क्या होगा।

हालांकि इसकी जानकारी होने पर जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल ने दरियादिली दिखाई और मदद को अपना हाथ आगे बढाया, जानकारी हुई है कि जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल ने पीड़ित परिवार को दो हजार रुपए की आर्थिक मदद प्रदान की है साथ ही पूर्ति निरीक्षक बबेरू से बात की है जिससे पीड़ित परिवार को कोटेदार के द्वारा 20 किलो गेंहू तथा 10 किलो चावल की मदद दी जा सके।

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