नेपाल में हो रही भारी बारिश की वजह से भारत के सीमावर्ती राज्य बिहार में तबाही का आलम है. नेपाल से बिहार के रास्ते भारत में आने वाली नदियां गंडक और कोसी ने 50 से अधिक स्थानों पर तबाही मचा दी है. वहीं कई अन्य निचले इलाकों में घुसने के लिए तटबंधों को तोड़ने को आतुर हैं. यह स्थिति बिहार में वाल्मीकि नगर एवं बीरपुर बैराज का गेट खुलने की वजह से बनी है.
इन गेट से पानी छुटते ही आधे से अधिक राज्य में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. राज्य से गुजर रही गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर खतरे के निशान को पारकर तबाही मचाने लगी हैं.हालात यहां तक आ गए हैं कि राज्य के 13 जिलों में 1.41 लाख आबादी पलायन को मजबूर है. राज्य के राज्य जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल के मुताबिक शनिवार को दोपहर बाद कोसी नदी पर बने बीरपुर बैराज को खोलकर कुल 5.31 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
कोसी नदी में एक बार इतना पानी बीते 56 वर्षों में पहली बार छोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि एक बार में इतनी मात्रा में पानी आते ही तटबंधों को खतरा पैदा हो गया है. हालात को देखते हुए तटबंधों की सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं. प्रमुख सचिव के मुताबिक इस बैराज से इससे पहले इतना पानी साल 1968 में आया था. उस समय बैराज से 7.88 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था.
इसी क्रम में गंडक नदी पर बने वाल्मीकि नगर बैराज से भी 4.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इस बैराज से अब से पहले इतना पानी साल 2003 में 6.39 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था. जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बिहार और नेपाल में तीन दिन से लगातार बारिश हो रही है. इसकी वजह से गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा के साथ गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नेपाल में तबाही बचाने के बाद गंडक और कोसी नदियों ने भारत में भी तांडव शुरू कर दिया है.
खासतौर पर बिहार के पश्चिमी चंपारण में जोगापट्टी, नौतन, गौनाहा, बगहा-1, बगहा-2, रामनगर, मझौलिया और नरकटियागंज ब्लॉक के अलावा पूर्वी चंपारण के कई इलाकों में पानी भर गया है. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों अपना घर बार छोड़ कर पलायन कर चुके हैं. इस समय राज्य के 13 जिले पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया एवं मधुबनी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं.
इन जिलों में कुल 20 प्रखण्डों की 140 ग्राम पंचायतों में रहने वाले 1.41 लाख लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे पहले बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर समेत गंगा के तटवर्ती इलाके से पहले से ही बाढ़ की चपेट में थे.