हरियाणा/हिसार (गरिमा) : प्राय: देखने में आता है कि दैनिक पूजा-पाठ के लिए प्रयुक्त होने वाली सामग्री आदि की पैकिंग पर किसी न किसी देवी देवता अथवा हिन्दू धर्म के भगवान् की फोटो लगा दी जाती है जो लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। इसमें बहुत से उदाहरण हो सकते हैं जो प्रतिदिन प्रयोग में होते हैं। प्राय: पूजा पाठ की सामग्री को क्रय करते समय ग्राहक इस और ध्यान नहीं दे पाता है और शीघ्रता के कारण लेकर घर आ जाता है। समस्या तब होती है जब उनका प्रयोग करना होता है और उन पर या तो किसी भगवान की फोटो लगी होती है अथवा कोई ऐसा नाम छापा होता है जो किसी देवी देवता अथवा भगवान से संबंधित हो। प्राय: सामग्री का प्रयोग करने के पश्चात कोई भी व्यक्ति उस पर लगी पैकिंग अथवा रैपर को फेंक देता है। जब उस पर फोटो आदि छपी हो तो वह दुविधा में पड़ जाता है कि अब क्या करें? यदि वह उस रैपर को फैंकता है तो कूड़े कर्कट में जाएगा और मलिन हो जाएगा। ऐसे में व्यक्ति उन्हें इक्कठा करके चलते जल में प्रवाहित करने का मन बनाता है और ऐसे में नदियों और नहरों में जल में ऐसे असंख्य रैपर आदि मिलते हैं जो पानी में घुलते नहीं अपितु जल को दूषित करने के साथ साथ जल के प्रवाह में बाधक होते हैं। यद्यपि ऐसे विषयों पर कुछ जनहित याचिकाएं भी डाली गई और 2015 में सर्वोच्च न्यायालय में ऐसी ही एक जनहित याचिका में शीर्ष न्यायालय ने कहा कि भारत देश में 33 करोड़ देवी-देवता हैं और किसी भी नागरिक को किसी देवी-देवता के नाम पर कारोबार करने से नहीं रोका जा सकता। न्यायालय ने कहा कि लोगों को अपनी आस्था या निष्ठा का प्रयोग करने का अधिकार है। माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस जनहित याचिका को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उत्पादों पर भगवान की फोटो चिपकाने पर प्रतिबंध की गुहार लगाई गई थी। पीठ ने दोटूक कहा कि हम वाणिज्यिक उत्पादों पर भगवान की फोटो का प्रयोग करने पर रोक नहीं लगा सकते। अगर किसी व्यक्ति की किसी खास भगवान पर आस्था है और वह चाहता है कि उस भगवान का फोटो उसके उत्पाद पर हो, जिससे कि उसका व्यवसाय फले-फूले और वह अमीर बन जाए। ऐसे में किसी को ऐसा करने से कैसे रोका जा सकता है। पीठ ने कहा कि एक व्यवसायी अपनी दुकान का नाम लक्ष्मी स्टोर रख सकता। वह अपनी बेटी का नाम लक्ष्मी रख सकता है। इसी तरह भगवान बालाजी में आस्था रखने वाला कोई व्यक्ति बालाजी के नाम पर कारोबार कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में हर व्यक्ति को पूजा करने की स्वतंत्रता है। इसीलिए कोई न्यायालय इस पर रोक लगाने का निर्देश कैसे दे सकती है। लोग अपने बच्चों का नाम देवी-देवताओं के नाम पर रखते हैं। क्या हम उन्हें ऐसा करने से रोक सकते हैं। पीठ ने कहा कि अगर मेरी कार, घर, दुकान आदि में भगवान की फोटो लगी है, तो इसमें गलत क्या है। आखिर हम लोगों को भगवान की तस्वीर का इस्तेमाल करने पर रोक कैसे लगा सकते हैं। यद्यपि शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्णय दिया जा चुका है जो स्वीकार्य है तो भी निर्माताओं को तनिक इस और ध्यान देने की आवश्यकता है कि वे अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए कम से कम इस बात का तो ध्यान रखें कि छोटे छोटे उत्पाद पर जब किसी भगवान अथवा देवी देवता की फोटो लगाने से बचें क्योंकि उत्पाद जैसे हवन सामग्री आदि का प्रयोग करने के पश्चात उन पर लगे रैपर आदि को फेंकना होता है जो या तो व्यक्तियों के पैरों तले मिलता है जो उचित नहीं है। कुछ लोग उन्हें नदियों आदि में प्रवाहित करते हैं जो वह भी प्रतिबंधित कृत्य है।