-नदी की बीच जलधारा में तांडव मचा रही पोकलैंड मशीनें
बांदा। बेखौफ बालू कारोबारी ( एन जी टी) सुप्रीम कोर्ट सहित योगी सरकार के नियमों को पैरों तले रौंदकर अवैध खनन व परिवहन कर अपनी और अपने गुर्गों की तिजोरियां भर रहे हैं और सरकार के राजस्व की खुलेआम चोरी कर रहे हैं जिले के जिम्मेदारों का कारोबारियों को शायद संरक्षण प्राप्त है जिससे बालू कारोबारी बेलगाम हैं। जनपद में खनिज विभाग की कार्यशैली से खनन कारोबारी बेलगाम होकर एनजीटी शर्तों व खनन परिवहन नियमों को तार-तार कर करोड़ों रुपए के राजस्व की लूट-खसोट जारी किए हैं। जिसमें खनिज, परिवहन व राजस्व विभाग अपनी मौन सहमति दे दी है। जिससे इस धन वर्षा में उनकी उपयोगिता के अनुसार जेबें भरीं जाएं। लेकिन बड़े विरोध प्रदर्शन, ज्ञापन व खबरें सुर्खियों में आने पर उच्चाधिकारियों व डीएम की सख्ती के बाद मन मसोसकर कर प्रयोजित कार्यवाही कर मामले की इतिश्री कर लेते हैं। जबकि खनन कारोबारी संजीव गुप्ता हिमाँशु मीणा के आगे उच्चाधिकारियों व डीएम की सख्ती भी बेअसर साबित हो रही है तभी तो उनकी मरौली खंड 5 व बरियारी खदान में दोयम दर्जा अधिकारी सबकुछ देख कर भी नियमों के विपरित हैवीवेट मशीनरी से लगातार जारी खनन व ओवरलोडिंग को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। खनिज अधिकारी को कोई भी एनजीटी शर्तों व ओवरलोडिंग का उलंघन नहीं दिखाई दे रहा है। जबकि वर्तमान समय में मरौली खंड 5, व बरियारी व साँडी खँड 77 खदान में जारी अवैध खनन से जीवनदायिनी केन की जलधारा भी क्षतिग्रस्त होने के साथ ही जलीय जीवों का भी अस्तित्व समाप्त होने की राह पर है। हाल ही मे अवैध खनन की शिकायतें मिलने पर डीएम जे रीभा के संयुक्त जांच टीम के साथ पैलानी तहसील की साँडी 77 मे मानक से अधिक खनन मिलने पर खाँन अधिकारी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये गये थे परन्तु पूरा मामला ठँडे बस्ते मै रह गया। सूत्रों की माने तो नदी मे 30 से 40 फीट की गहराई तक बालू निकाली जा रही है। जो कि खनिज नियमावली व एनजीटी के नियमों का खुला उल्लंघन है। बीते कई माह से बगैर रवन्ना प्रपत्र के ओवरलोड ट्रकों की निकासी धडल्ले से की जा रही है तथा बीच बीच मे ओवरलोड पर कार्यवाही कर सब कुछ आल इज वेल दिखा दिया जाता है। जानकार सूत्रों का कहना है कि जुर्माने के खेल मे भी खेला हो रहा है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी बालू खदान मे अवैध खनन कर 3 करोड़ से अधिक की बालू की निकासी की जाती है तो उसके एवज मे खनिज अधिकारी महज 30 लाख का जुर्माना लगाकर अपने दायित्व की पूर्ति कर उच्चाधिकारियों को कार्रवाई की रिपोर्ट भेज देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अधिक बालू निकासी के चलते केन नदी की धारा ठहर गयी है। नदी मे लगातार पानी कम होता जा रहा है। इससे जलीय जीव-जंतुआंे की लगातार मौतें हो रही हैं। लोगों ने जिलाधिकारी से नदी की जलधारा से किए जा रहे खनन पर रोक लगाने की मांग आये दिन करते रहते है।