रामलीला में सीता स्वयंबर और लक्ष्मण संवाद का हुवा मंचन

 

-नगरपंचायत में रामलीला देखने को उमड़ा दर्शको का सैलाब, गूंजे श्री राम के जयकारे

असोथर, फतेहपुर। आदर्श रामलीला में सीता स्वयंवर जनक प्रलाप धनुष यज्ञ लक्ष्मण परशुराम संवाद का मार्मिक अभिनय किया गया लीला देखने के लिए जनता उमड़ पड़ी लक्ष्मण,परशुराम के आध्यात्मिक संवाद मे रात भर दर्शक गोता लगाते रहे। नगर पंचायत असोथर के बंजरिया पार्क में आदर्श रामलीला का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ चेयरमैन नीरज सिंह सेंगर ने राम लक्ष्मण कि आरती करके किया विदेहराज जनक द्वारा सीता स्वयंवर की घोषणा के पश्चात सभी देशों के राजाओं को आमंत्रित किया जाता है रंगशाला में सभी राजाओ की मौजूदगी में किसी ने धनुष को तोड़ना तो दूर हिला तक नहीं पाए तभी राजा जनक विलाप करने लगे कि अब धरती वीरों से विहीन हो गई है विदर्भराज का करुण विलाप सुनकर सभा मंडल में विराजे विश्वामित्र द्रवित होकर महाराज दशरथ के पुत्र राम कि ओर देखते हैं गुरु के इशारे पर राम ने धनुष कि प्रत्यंचा चढ़ा कर खंडित कर देते हैं सीता जी राम को बर माला पहनाती है धनुष टूटने की टंकार सुन कर मंदराचल पर्वत से परशुराम सीधा जनकपुर पहुंच जाते हैं और क्रोधित होकर विदेह से शिव जी के धनुष तोड़ने का कारण पूछते हुए कड़े शब्दों में कहते हैं कि रे सठ जनक धनुष केही तोरा जनक जी के विनम्रता भरे शब्द से परशुराम जी संतुष्ट नहीं होते हैं तभी रघुवंशी लक्ष्मण ने कटु वचन बोलते हैं और लक्ष्मण परशुराम के मध्य आध्यात्मिक संवाद सुरु हो जाता है जो नौ बजे दिन तक चलता रहा परशुराम का अभिनय त्रिभुवन त्रिवेदी ने किया लक्ष्मण जी का अभिनय छुन्ना महाराज राम का अभिनय आशुतोष द्विवेदी जनक का रोल कालिका प्रसाद ने किया और विनोद व्यास रहे। आयोजक मंडल में कल्लू सिंह बैंस, कमलेश सिंह,, संजीव सिंह, सभासद कमलेश भाई, मनोज सिंह, शैलेश सिंह, पप्पू सिंह, बउवा सिंह, शिवमोहन मौर्य, शिशुपाल सिंह, प्रिंस गौतम, कामता शुक्ला, आशा दत्त, मुनीम, दिनेश प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में दर्शक श्रोता मौजूद रहे, विद्वान कलाकारों द्वारा रामलीला के मार्मिक मंचन में जनता आकर्षित रही।

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