वाराणसी में मंगलवार रात ATS ने नकली नोटों की तस्करी करने वाले 2 लोगों को सारनाथ में गिरफ्तार कर किया। इन दोनों के कब्जे से 1.97 लाख रुपए के नकली भारतीय नोट बरामद हुए हैं। आरोपी मोहम्मद सुलेमान अंसारी बिहार के वैशाली इसीयूटा थाने और इदरीश सदर थाने के फतेहाबाद का रहने वाला है। तस्करों के बांग्लादेशी कनेक्शन मिलने के बाद ATS और प्रशासन हरकत में आ गया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह बांग्लादेश से तस्करी कर लाई नकली नोटों को यूपी के जिलों में सप्लाई करते थे। पिछले 8 साल में यूपी के 22 जिलों तक खेप पहुंचाई है। अब इस गिरोह का लक्ष्य आगामी महाकुंभ प्रयागराज था, जहां बड़ी संख्या में नकली नोटों को खपाना था। तस्करों ने इससे पहले भी प्रयागराज तक नकली नोट पहुंचाए हैं।
इस बार भी लक्ष्य प्रयागराज था। कोलकाता से वह पीडीडीयू नगर जंक्शन आए तो सोचा आज रात बनारस घूम लें और सुबह प्रयागराज पहुंच जाएंगे। दोनों बनारस घूमने निकले, लेकिन पुलिस ने दबोच लिया। पूछताछ में दोनों ने कबूला कि उनके गिरोह ने 8 साल में यूपी में 10 करोड़ की नकली करेंसी पहुंचाई है। वाराणसी पुलिस इन तस्करों की जानकारी NIA की टीम को देगी। इसके अलावा राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) समेत कई एजेंसियों को भी इसके बारे में रिपोर्ट देगी। पूछताछ में जाली नोटों के नेटवर्क से जुड़े कई तस्करों के नाम और ठिकाने का पता चला है,
हालांकि इनका पूरा सिस्टम बांग्लादेश और मालदा टाउन से जुड़ा है जो पश्चिम बंगाल और बिहार के जरिए यूपी में दखल देता है। यूपी एटीएस की वाराणसी टीम ने मंगलवार की रात नकली नोटों की तस्करी करने वाले गिरोह के 2 सदस्यों को सारनाथ में गिरफ्तार कर किया था। इनके पास 1. 97 लाख रुपए के नकली भारतीय नोट बरामद हुए हैं। सभी 500-500 के नोटों में थे। ATS की वाराणसी इकाई की ओर से केस दर्ज कर दोनों को आज बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। गिरफ्तार मोहम्मद सुलेमान अंसारी और इदरीश इस समय जाकिर के गैंग में काम करते हैं। जाकिर अपना गिरोह पश्चिम बंगाल में रहकर संचालित करता है और बांग्लादेश समेत आसपास देशों में फरार रहता है।
मोहम्मद सुलेमान अंसारी और इदरीश की गिरफ्तारी में जुटी पुलिस की टीम मालदा टाउन से उसी ट्रेन में सफर कर रही थी, जिसमें तस्कर नकली नोटों के साथ थे। वाराणसी में इन सभी को नोटों की सप्लाई देनी थी, जहां से पूर्वांचल के सभी छोटे बाजारों तक नकली करेंसी पहुंचाई जाती। इनका लक्ष्य प्रयागराज था, जहां पहले भी ट्रायल कर चुके हैं और आज दो लाख रुपए की नकली करेंसी पहुंचानी थी। ट्रायल के लिए बनारस के बाजार में तीन हजार खर्च कर दिए। फिर प्रयागराज निकल रहे थे। इससे पहले ही मोहम्मद सुलेमान अंसारी और इदरीश को ATS ने सारनाथ क्षेत्र में रिंगरोड़ के पास दबोच लिया।
पुलिस की पूछताछ में दोनों ने बताया- हम लोग पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में रहकर टायर पंक्चर बनाने का काम करते थे। इनकी दुकान पर एक कारोबारी पंक्चर बनवाने आया और नकली करेंसी दे गया। बाजार में उसने अपना नाम मालदा निवासी जाकिर बताया था। अगले दिन उन्हें नकली नोट का पता चला तो जाकिर ने बताया कि जाली भारतीय मुद्रा की सप्लाई का काम करता है और उसे लोग चाहिए। इसके बाद दोनों जाकिर से मिल गए और काम भी शुरू कर दिया। पूछताछ में मोहम्मद सुलेमान अंसारी को पिछले साल भी जाली नोटों के साथ बिहार पुलिस ने पकड़ा था, जिसमें वह छह माह हाजीपुर जेल में बंद रहा था। वाराणसी पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि एक लाख के नकली नोट खपाने पर 25 हजार रुपए मिलते हैं।
DIG डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश के भी कई इलाकों में भारतीय मुद्रा समेत कई देशों की करेंसी की छपाई होती है। इन जगहों पर भारतीय करेंसी देने पर तीन गुना ज्यादा नोट मिलते हैं, जिन्हें लाने वाले तस्कर पूर्वांचल के बाजार में आधी कीमत पर बेच देते हैं। फिर उनके एजेंट बाजार में नोट को चलन में लाकर पूरी कीमत वसूलते हैं। ADCP सरवणन टी ने बताया- पुलिस इन नकली नोट तस्करों का नेटवर्क खंगालेगी और जिलों में मिली सूचनाओं के आधार पर छापेमारी करेगी। अभी कोई बड़ी कार्रवाई के पहले पूरे नेटवर्क को खंगाला जाएगा।
जाकिर और इदरीश ने बताया- जाली भारतीय मुद्रा की सप्लाई में तीन से चार गुना से अधिक का मुनाफा है। मेरे जाली भारतीय नोट आसानी से मार्केट में चलाए जा सकते हैं। नकली नोटों की खेप मेला, कस्बों के बाजारों में आसानी से खपाई जाती है। वाराणसी के अलावा गाजीपुर, सोनभद्र, बलिया, मऊ, आजमगढ़ में सबसे ज्यादा नोट खपाने पर फोकस रहता है। इस बार महाकुंभ पर नकली करेंसी की बड़ी खपत भेजने की तैयारी है।