स्पेशल परमिशन के बिना बांग्लादेश ने इस्कॉन सदस्यों को रोका, ये लोग एक धार्मिक समारोह में भाग लेने भारत जा रहे थे। इसे लेकर इमिग्रेशन पुलिस का कहना है कि उनके पास भले ही वैध पासपोर्ट और वीजा थे, लेकिन गवर्नमेंट की स्पेशल परमिशन नहीं थी। बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के एक अधिकारी ने द डेली स्टार अखबार से कहा- हमने पुलिस की स्पेशल ब्रांच से बात की। जहां से हमें इस्कॉन सदस्यों को बॉर्डर पार न जाने देने के निर्देश मिले। देश के अलग-अलग जिलों से आया श्रद्धालुओं का जत्था भारत जाने के लिए बेनापोल बॉर्डर पर पहुंचा था। वे बेनापोल में बॉर्डर पार जाने के लिए घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन बाद में बताया गया कि उन्हें इसकी परमिशन नहीं है।
इस्कॉन सदस्य सौरभ तपंदर चेली ने कहा- हम भारत में हो रहे एक धार्मिक समारोह में भाग लेने जा रहे थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने हमें सरकारी परमिशन न होने का हवाला देकर रोक दिया वहीं, दूसरी तरफ कोलकाता इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने बांग्लादेश में अब तक 4 इस्कॉन सदस्यों की गिरफ्तारी का दावा किया है। चार हिंदू पुजारियों की तस्वीर पोस्ट करते हुए राधारमण दास ने लिखा- क्या ये आतंकवादी जैसे दिखते हैं? इन सभी को बांग्लादेशी पुलिस ने बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया है।
चिन्मय प्रभु के अलावा अन्य इस्कॉन सदस्यों की गिरफ्तारी या हिरासत पर बांग्लादेश की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। हिंदू धर्मगुरु चिन्मय प्रभु की रिहाई को लेकर बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है। वहीं, इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग कर लिया है। महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। यूनुस प्रशासन ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक अकाउंट्स 30 दिनों के लिए सीज कर दिए हैं। इसमें चिन्मय प्रभु का अकाउंट भी शामिल है। फाइनेंशियल इंटेलिजेंस एजेंसी ने सेंट्रल बांग्लादेश बैंक से इन सभी 17 लोगों से जुड़े अकाउंट्स से हुई लेन-देन की जानकारी 3 दिन के भीतर भेजने को कहा है।