सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की याचिका को खारिज कर दिया है. सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? बता दे कि सर्वोच्च अदालत की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ से किसानों को हाईवे से हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी. जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कोई ये मुकदमेबाजी प्रचार के लिए हो रही है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि किसानों की शिकायतों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी रचनात्मक कदम उठाए हैं, मेरी याचिका यात्रियों को हो रही दिक्कत को लेकर है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हर चीज से वाकिफ हैं, ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता अकेला ही समाज का जागरूक रक्षक है और बाकी लोग जागरूक नहीं हैं. बार-बार एक ही मामले पर याचिका दायर न करें. बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था. इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था. याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है. साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था. याचिकाकर्ता ने रास्ता बंद करने को अपराध मानते हुए कानूनी कार्रवाई की भी मांग की थी. रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली कूच की मांग को बीच में ही स्थगित कर दिया था. ये सब कुछ हरियाणा पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन के इस्तेमाल के बाद हुआ. केन्द्र सरकार में मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों के शंभू बॉर्डर पर बैठ जाने को बड़ी समस्या कह चुके हैं. जबकि किसान इसे अपने अधिकार की लड़ाई कहते रहे हैं.