फतेहपुर। नगर स्थित महर्षि विद्या मन्दिर में 19 से 27 मई 2025 तक नौ दिवसीय महर्षि चेतना पर आधारित शिक्षण व इन हाउस टीचर्स ट्रेनिंग का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अविनाश कुमार सह जिला विद्यालय निरीक्षक व नीरज कुमार यादव प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक द्वारा संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्ज्वलन कर शैक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने उन्हें पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि अविनाश कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि विद्या मन्दिर अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु कार्य कर रहा है। शिक्षकों को समय के साथ अद्यतन बने रहने की आवश्यकता है। वहीं नीरज कुमार यादव ने इस कार्यक्रम के आयोजन पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें हर चीज हर क्षण हर मौका नयी सीख देता है। अतः देश को दिशा दिखाने वाले शिक्षकों को सदैव सीखते रहना चाहिए। प्रधानाचार्य ने बताया कि इस प्रशिक्षण में महर्षि विद्या मन्दिर कानपुर हमीरपुर उरई, रायबरेली और फतेहपुर के शिक्षकों समेत लगभग 150 शिक्षक प्रतिभाग कर रहें है। उन्होंने बताया कि महर्षि विद्या मन्दिर विद्यालय समूह के अध्यक्ष वेद विद्या मार्तण्ड ब्रम्हचारी डॉ० गिरीश चंद्र वर्मा के निर्देशानुसार इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। महर्षि चेतना पर आधारित शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जो मानव चेतना को शिक्षा के केन्द्र में रखकर ज्ञान और विकास को बढ़ावा देती है। यह भावातीत ध्यान एवं भावातीत ध्यान व सिद्धी कार्यक्रम के नियमित अभ्यास से सम्भव है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को तनाव और चिंतामुक्त वातावरण से दूर कर उनमें रचनात्मक क्षमता का विकास कर चेतना के उच्चतम शिखर पर पहुँचाना है। प्रथम दिवस के कार्यक्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्रवक्ता विनय कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षक को सदैव सीखते रहना चाहिए क्योंकि सीखाने की प्रक्रिया आजीवन चलती रहती है। वहीं डायट की वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० आरती गुप्ता ने कहा कि इस बदलते हुए परिवेश में शिक्षक को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पद्धति को धरातल पर उतारने की आवश्यकता है। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने चेतना पर आधारित शिक्षण कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि महेश योगी एक चेतना वैज्ञानिक थे। उन्होंने जीवन निर्माण करने वाले एक पूर्ण एवं व्यवस्थित पाठ्यक्रम को उपहार स्वरूप हमें भेंट किया है जिससे विद्यार्थियों में सीखने की क्षमता में वृद्धि होगी और शिक्षा का उद्देश्य सही अर्थों में पूर्ण होगा।