धूमधाम के साथ मनाया गया महाशिवरात्रि का पावन पर्व
दिनेश तिवारी की रिपोर्ट।
शुकुल बाजार अमेठी पूरे देश के साथ-साथ शुकुल बाजार क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया गया जिसमें बेलपत्र शमीपत्र धतूर बेर जल पुष्प आदि शिवलिंग पर चढ़ा कर भक्तों ने भगवान शंकर जिनके अनेक नाम हैं महादेव कैलाश पति भोलेनाथ की पूजा की तथा उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद मांगा बताते चलें शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एकबार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आज 4 मार्च सोमवार को हुआ। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य भगवान महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी और पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है।