अमान्य प्रमाणपत्रो पर वर्ष 2000 से कर रहा है लीपिक की नौकरी!

अमान्य प्रमाणपत्रो पर वर्ष 2000 से कर रहा है लीपिक की नौकरी!

शाहजहाँपुर:उ०प्र० 31 मई 2019
(न्यूज़ वाणी ब्यूरो इमरान सागर)

आपूर्ती विभाग में वर्ष 2000 से बाबू की नौकरी कर रहे व्यक्ति शिक्षा प्रमाण, शिक्षा विभाग द्वारा जांच में अमान्य बताएे गये!

इससे पूर्व में भी अनेके जांच से गुजरा मामला, काफी सुर्खियों में रहा! जिलाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद भी ठोस कार्यवाही नही हो सकी और मामले को ठंण्डे बस्ते में डाल दिया गया, बाबू आज भी अपने पद पर आसीन रह कर मोटे वेतन के रूप में प्रदेश सरकार के खजाने से माल उड़ा रहा है!

प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला आपूर्ती लीपिक प्रदीप कुमार से सम्बन्धित है! जिले में आपूर्ती विभाग में लीपिक के पद पर कार्यरत बाबू प्रदीप कुमार द्वारा शिक्षा सम्बन्धी फर्जी प्रमाण लगा कर नैकरी हासिल करने का है! शिकायत के आधार पर शिक्षा विभाग द्वारा उक्त बाबू के शिक्षा प्रमाण पत्रो की जांच की गई! जांच में शिक्षा विभाग ने उक्त बाबू के समस्त शिक्षा प्रमाण पत्र अमान्य बताते हुए रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौप दी!

कथित शिकायत के आधार पर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015-16 में जिलाधिकारी को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उक्त के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि श्री प्रदीप कुमार आपूर्ती लीपिक जिला पूर्ती कार्यालय शाहजहाँपुर के शैक्षणिक योग्यता सम्बन्धी अंक पत्र/प्रमाणपत्रो जो कि आपके उक्त पत्र पत्रांक के साथ संलग्न कर इस कार्यालय में उपलब्ध कराए गये हैं जोकि हिन्दी साहित्य सम्मेलन अतिरिक्त कार्यालय 188 बहादुरगंज इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से जारी हैं! यह सभी सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के अर्धशासकीय पत्रांक/ परिषद-9/86 दिनांक 30-04-2009 के द्वारा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, इलाहाबाद उ० प्र० द्वारा संचालित प्रर्थमा, माध्यम एंव अन्य उच्चस्तर परिक्षाए, माध्यमिक शिक्षा परिषद उ०प्र०/उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा संचालित हाई स्कूल व इन्टरमीडियट परिक्षाओं के समकक्ष न तो कभी पूर्व में मान्य थी और न वर्तमान में मान्य हैं!

अब समझने वाली बात यह है कि शिक्षा से सम्बन्धित समस्त प्रमाणो की जांच शिक्षा विभाग ही से कराई जाती है! उक्त बाबू के सम्बन्ध में भी उसके शिक्षा प्रमाणपत्रो की जांच शिक्षा विभाग द्वारा की गई और उसने अपनी रिपोर्ट में उक्त बाबू के समस्त शिक्षा प्रमाणपत्रो के अमान्य घोषित कर दिया तो फिर वर्ष 2000 से लीपिक के पद पर अब तक तैनात रह कर सरकारी खजाने से हर माह मोटा वेतन किस प्रकार ले रहा है!

बताया गया कि पूर्व में उक्त के सम्बन्ध में जम कर ठोस जांच हुई और हर जांच उक्त बाबू के खिलाफ साबित हुई और हर जानकारी जिलाधिकारी की टेबिल पर पहुंचाई गई परन्तु इसके बाद भी किसी ठोस कार्यवाही का ना होना, प्रदेश सरकार की ईमानदारी को शक़ के कठघरे में खड़ा करने को मजबूर करती है!

चोरी और सीना जोरी:-आपूर्ती लीपिक बाबू प्रदीप कुमार से जब इस सम्बन्ध में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो पहले तो फोन पर मीडिया का नाम सुनते ही फोन काट दिया गया परन्तु दूसरी कोशिश में हमारे संवाददाता को उन्होने, उक्त सारे प्रकरण को ही फर्जी बताते हुए सीधा सबाल किया कि आपके यह खबर किसने दी, साथ ही यह भी कह दिया कि नौकरी में तो एैसी बधांए कितनी ही बार आती हैं लेकिन सब निपट जाती हैं!

कैसे रुकेगा भ्रृ्टाचार:-एक ओर तो प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ईमानदार सरकार होने की बात करती है लेकिन दूसरी ओर इस प्रकार के प्रकरणो में अनेको जांच खिलाफ आने के बाद भी ठोस कार्यवाही नही कर पाती और अपने खजाने से यूँ ही हर माह लाखो रूपया बरबाद करने देती है!

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